UPA का नाम बदले जाने की अटकलें, विपक्ष की बैठक के दौरान हो सकता है फैसला
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में हो रही विपक्ष की बैठक के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) के नाम को लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। आम आदमी पार्टी (AAP) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) समेत अन्य भाजपा विरोधी पार्टियों के साथ आने के बाद UPA का नाम बदलने की अटकलें लगाई जा रही हैं। UPA की मौजूदा प्रमुख कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी हैं और 2004 में इसका गठन किया गया था।
अकेले कांग्रेस नहीं लेगी कोई निर्णय- वेणुगोपाल
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने UPA का नाम बदलने की अटकलों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, "आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हम सभी मिलकर निर्णय लेंगे। मैं अभी आपको नहीं बता सकता कि बैठक के दौरान किन मुद्दों पर चर्चा होने वाली है।" उन्होंने आगे कहा, "कांग्रेस अकेले कोई निर्णय नहीं ले रही है। सभी विपक्षी पार्टियां एक साथ बैठेंगी और एकजुट होकर निर्णय लेंगी।"
प्रस्तावित गठबंधन में क्या-क्या होगा?
इंडिया टुडे के मुताबिक, भाजपा के खिलाफ बनाए जाने वाले इस प्रस्तावित गठबंधन का एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम होगा और हर राज्य के आधार पर सीट बंटवारे पर चर्चा होगी। बतौर रिपोर्ट्स, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जा सकता है। इसके अलावा विपक्षी पार्टियों के संयुक्त प्रचार कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक उप-समिति भी बनेगी।
2004 के लोकसभा चुनाव के बाद हुआ था UPA का गठन
आधिकारिक तौर पर UPA का गठन करीब 18 वर्ष पहले हुआ था। 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के बाद कांग्रेस समेत अन्य भाजपा विरोधी पार्टियों ने एक साथ आने का फैसला किया था। UPA ने 2004 में केंद्र सरकार का गठन किया था और यह गठबंधन वर्ष 2014 तक सत्ता में काबिज रहा था।
UPA में फिलहाल कौन-सी पार्टियां हैं शामिल?
UPA में फिलहाल कांग्रेस समेत करीब 20 पार्टियां शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पार्टियां द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे). झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) हैं। बता दें कि UPA ने 2004 लोकसभा चुनाव में 218 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि 2009 में गठबंधन 262 सीटें जीतने में कामयाब हुआ था।