भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है भाई दूज, आइए जानते हैं कैसे हुई थी इसकी शुरुआत
क्या है खबर?
भारत में हर साल कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनके पीछे कई पौराणिक कथाएं छिपी होती हैं। इन्हीं त्योहारों में से एक है भाई दूज, जो इस साल 3 नवंबर को मनाया जाएगा।
यह पर्व भाई-बहन के बीच के प्रेम का प्रतीक है, जिसके जरिए उनका रिश्ता और भी मजबूत हो जाता है।
आइए इस लेख में जानते हैं कि भाई दूज का त्योहार किन कारणों से मनाया जाता है और इस साल तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त क्या है।
कारण
भाई दूज मनाने के पीछे है यह पौराणिक कथा
सूर्यदेव की पुत्री छाया ने युमना और यमराज को जन्म दिया था। दोनों भाई-बहन एक दूसरे से प्रेम करते थे, लेकिन व्यस्तता के कारण मिल नहीं पाते थे।
एक दिन यमराज कार्तिक महीने की शुक्ल द्वितीया को यमुना से मिलने उनके घर गए। यमुना अपने भाई को देखकर खुश हुईं और उनका खूब आदर-सत्कार किया।
उन्होंने यमराज से वादा लिया कि वह हर साल उनसे मिलने आएंगे। तभी से इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।
कृष्ण
भगवान कृष्ण से भी जुड़ा है भाई दूज का इतिहास
भाई दूज मनाने के पीछे एक और कथा प्रचिलित है, जो भगवान कृष्ण से जुड़ी है। मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में छोटी दिवाली पर भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था।
इस पापी का सर्वनाश करने के बाद भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने श्री कृष्ण का स्वागत करने के लिए उनकी आरती उतारी थी और उनके माथे पर तिलक लगाया था।
इसके बदले प्रभु ने उनकी सुरक्षा करने का वादा किया था।
तरीका
इस तरह से मनाया जाता है भाई दूज का पर्व
भाई दूज पर सभी भाई-बहन एक दूसरे से मिलने जाते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी सलामती व लंबी आयु की कामना करती हैं।
इसके बदले भाई अपनी बहनों को उनकी पसंद से उपहार देते हैं और उनकी सुरक्षा का वचन उठाते हैं। भाई दूज पर एक विशेष पूजा भी की जाती है, जिसके बाद ही तिलक लगाने की रस्म होती है।
मुहूर्त
जानिए भाई दूज की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
इस साल भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर को पड़ रहा है। यह उत्सव कार्तिक के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।
इस बार भाइयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:10 से 3:22 तक है। इस पर्व पर पिसे हुए चावल से चौक तैयार की जाती है और यम देव, यमुना मैया, भगवान गणेश, और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
बहनें आरती की थाली में चावल, रोली, चंदन, मिठाई और दिया जरूर रखें।