मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों को होती है सफल होने की ज्यादा इच्छा, अध्ययन में खुलासा
क्या है खबर?
हमारी खान-पान की आदतें हमारे स्वास्थ्य पर असर डालती हैं, मूड को बेहतर बनाती हैं और यहां तक कि वजन को भी नियंत्रित रखती हैं। हालांकि, किसी ने नहीं सोचा होगा कि भोजन और सफलता का भी कोई संबंध हो सकता है। सफल होना तो हर कोई चाहता है। हालांकि, एक नए अध्ययन में कहा गया है कि शाकाहारी लोगों को मांसाहारियों की तुलना में ज्यादा ताकत और सफलता चाहिए होती है।
अध्ययन
अमेरिका और पोलैंड में हुआ यह अध्ययन
यह अध्ययन अमेरिका और पोलैंड के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जिसे PLOS ONE पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। इसका नेतृत्व पोलैंड के SWPS विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन नेजलेक ने किया है। इससे पता चला है कि शाकाहारी लोग मांसाहारी लोगों की तुलना में सत्ता और उपलब्धियों के ज्यादा लालची होते हैं। इस शोध के नतीजे शाकाहारियों की छवि को उलटने का काम कर रहे हैं और उससे विपरीत साक्ष्य दे रहे हैं।
प्रतिभागी
3,700 प्रतिभागियों की मदद से पूरा हुआ अध्ययन
इस शोध के लिए 3 अलग-अलग अध्ययन किए गए थे, जिनमें 3,700 से अधिक वयस्कों की जांच की गई थी। इनमें से एक अध्ययन अमेरिका में हुआ था, वहीं 2 पोलैंड में किए गए थे। अमेरिकी अध्ययन में 514 शाकाहारी और 540 मांसाहारी लोग शामिल थे। पोलिश वाले पहले अध्ययन में 636 प्रतिभागी थे, जिनमें से लगभग 47 प्रतिशत शाकाहारी थे। वहीं, दूसरे अध्ययन में 2,102 प्रतिभागी थे, जिनमें से लगभग 3.4 प्रतिशत शाकाहारी थे।
प्रक्रिया
प्रतिभागियों से सवाल-जवाब कर किया गया शोध
प्रतिभागियों से एक मनोवैज्ञानिक ढांचे का उपयोग करते हुए उनके बुनियादी मानवीय मूल्यों से जुड़े सवाल पूछे गए थे। यह मानव व्यवहार को संचालित करने वाले 10 प्रमुख मूल्यों को मापता है, जिसमें लोगों और प्रकृति की देखभाल से लेकर दूसरों पर नियंत्रण की इच्छा तक शामिल है। अधिकांश मूल्यों के लिए तीनों अध्ययनों में नतीजे काफी हद तक एक जैसे थे। हालांकि, शोधकर्ताओं ने इसके दौरान कुछ सांस्कृतिक अंतर भी पाए।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
मांसाहारी लोगों की तुलना में शाकाहारियों ने परोपकार, सुरक्षा (स्थिरता और सुरक्षा की इच्छा) और अनुरूपता (सामाजिक मानदंडों का पालन करना) जैसे मूल्यों पर कम अंक प्राप्त किए। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि शाकाहारियों का शक्ति और उपलब्धि के साथ गहरा संबंध पाया गया था। सभी अध्ययनों में शाकाहारियों ने इन मूल्यों को मांसाहारी लोगों की तुलना में ज्यादा अहम माना। अध्ययन में कहा गया, "शाकाहारी मांस खाने वालों की तुलना में अधिक मर्दाना होते हैं।"
निष्कर्ष
भारत के लोगों के लिए उपयुक्त नहीं हैं इस अध्ययन के नतीजे
मर्दाना से शोधकर्ताओं का मतलब था कि वे ताकत और सफलता जैसे मूल्यों को ज्यादा महत्व देते हैं, जो पारंपरिक मर्दाना गुणों में गिने जाते हैं। शाकाहारियों को अनुरूपता की बहुत कम चिंता थी, जो दूसरों को परेशान करने या सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन करने वाला मूल्य है। यह नतीजे उन देशों के लिए उपयुक्त हैं, जिनमें शाकाहारी अल्पसंख्यक बने हुए हैं। इसके नतीजे भारत के लोगों के लिए सही नहीं हैं, क्योंकि यहां ज्यादातर लोग शाकाहारी हैं।
जानकारी
पश्चिम देशों के शाकाहारी लोग परंपराओं को नहीं देते महत्व
अध्ययन से यह भी सामने आया कि पश्चिमी देशों के शाकाहारी लोग परंपराओं को कम महत्व देते हैं। उनके मन में संस्कृति या धर्म द्वारा दिए गए रीति-रिवाजों और विचारों के प्रति सम्मान नहीं था।