प्रशिक्षित कुत्ते सटीकता से लगा सकते हैं पार्किंसंस रोग का पता, अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
पार्किंसंस रोग (PD) तंत्रिका तंत्र का विकार है, जो गति को प्रभावित करता है। इसके दौरान सबसे पहले हाथ कांपने शुरू होते हैं और अन्य लक्षणों में धीमी गति से चलना, अकड़न और संतुलन न बना पाना शामिल होता है। दिमाग में तंत्रिका कोशिकाओं की क्षति के कारण डोपामाइन का स्तर गिरता है, जिससे पार्किंसंस रोग हो सकता है। अब इससे जुड़ा एक अध्ययन किया गया है, जो बताता है कि प्रशिक्षित कुत्ते सटीकता से इसका पता लगा सकते हैं।
अध्ययन
कुत्ते सूंघकर लगा सकते हैं पार्किंसंस का पता
इस अध्ययन को ब्रिस्टल और मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पूरा किया है। इसके लिए मेडिकल डिटेंशन चैरिटी के कुत्तों की मदद ली गई थी। इस अध्ययन को मंगलवार को 'द जर्नल ऑफ पार्किंसंस डिजीज' नामक पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया है। इसके जरिए पता चला है कि प्रशिक्षित कुत्ते पीड़ित लोगों की त्वचा के नमूनों की गंध को सूंघकर पार्किंसंस रोग की पहचान कर सकते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि ऐसा कैसे संभव है।
प्रक्रिया
कुत्तों को सुंघाए गए थे रोगियों की गंध के नमूने
मेडिकल डिटेंशन चैरिटी द्वारा 2 कुत्तों को प्रशिक्षण दिया गया था। उन्हें पार्किंसंस रोग से ग्रस्त और रहित व्यक्तियों के सीबम के नमूनों में अंतर करना सिखाया गया था। अध्ययन में बंपर नाम का गोल्डन रिट्रीवर और पीनट नाम का लैब्राडोर शामिल थे। कुत्तों को कई हफ्तों तक पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों की गंध के 200 से ज्यादा नमूने सुंघाए गए थे। साथ ही उन लोगों के भी नमूने पेश किए गए थे, जिनमें यह बीमारी नहीं थी।
नतीजे
क्या होता है डबल-ब्लाइंड परीक्षण?
डबल-ब्लाइंड परीक्षण के दौरान कंप्यूटर ही जानता था कि कौन-से नमूने किसके हैं। हर रेखा को उल्टे क्रम में प्रस्तुत किया गया, ताकि जिन नमूनों के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया था, उन्हें फिर से प्रस्तुत किया जा सके। इसके बाद बिना निर्णय वाले नमूनों को नई पंक्तियों में एकत्र किया गया, जब तक कि उनके लिए निर्णय नहीं लिया गया। इस परीक्षण के दौरान कुत्तों ने 80 प्रतिशत तक की संवेदनशीलता और 98 प्रतिशत तक की विशिष्टता दर्शाई।
शोधकर्ता
कुत्ते निदान में कैसे हो सकते हैं मददगार?
परीक्षण के जरिए कुत्ते ऐसे मरीजों के नमूनों में भी पार्किंसंस रोग का पता लगा सके, जो अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी जूझ रहे थे। इस अध्ययन में कुत्तों ने उच्च संवेदनशीलता और विशिष्टता हासिल की और दिखाया कि इस रोग से ग्रस्त रोगियों में एक विशिष्ट घ्राण लक्षण होता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि कुत्ते पार्किंसंस रोग से ग्रस्त रोगियों की पहचान के लिए एक गैर-आक्रामक और किफायती निदान विकसित करने में उनकी मदद कर सकते हैं।