लड़कियों को 8 साल की उम्र में ही हो रहे पीरियड्स, जानिए इसके पीछे के कारण
पीरियड्स महिलाओं की मासिक समस्या है, जो प्यूबर्टी और प्रजनन क्षमता को दर्शाती है। ज्यादातर लड़कियों को पहली बार पीरियड्स 12 साल की उम्र के आसपास आते हैं, लेकिन यह 10-15 साल की उम्र के बीच हो सकते हैं। हालांकि, कुछ सालों से भारत में 8 साल की उम्र वाली लड़कियों को भी पीरियड्स होने लगे हैं। यह असामयिक यौवन कहलाई जाने वाली समस्या के कारण होता है। आइए लड़कियों को कम उम्र में पीरियड्स होने के कारण जानते हैं।
जानिए असामयिक यौवन का अर्थ
असामयिक यौवन तब होता है, जब एक बच्चे का शरीर बहुत जल्द वयस्क शरीर में परिवर्तित होने लगता है। इसे प्रारंभिक यौवन या शीघ्र यौवन भी कहा जाता है। जिन लड़कियों को 10 से 12 साल की उम्र से पहले यौवन और उसकी प्रगति के स्पष्ट लक्षण दिखाई देते हैं, उन्हें असामयिक यौवन का शिकार माना जाता है। लड़कियों को 8 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होना भी इसी का एक लक्षण है।
रसायन युक्त चीजों का इस्तेमाल और पर्यावरणीय कारण
इन दिनों सभी तरह के उत्पादों में हानिकारक रसायन और प्लास्टिक जैसे तत्व उपयोग किए जाते हैं। इनके अधिक इस्तेमाल से लड़कियां असामयिक यौवन का शिकार हो रही हैं। इन उत्पादों में मौजूद अंतःस्रावी-विघटनकारी रसायन (EDC) शरीर में हॉर्मोन की नकल कर सकता है और प्यूबर्टी के सामान्य समय में बदलाव कर सकता है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण के कारण भी यह समस्या बढ़ती जा रही है।
खान-पान की अस्वस्थ आदतें
आज कल के बच्चे फल और सब्जियां खाने के बजाए अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, चीनी युक्त खाद्य पदार्थ और जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करते हैं। खान-पान की अस्वस्थ आदतों का बच्चे के विकास पर बुरा असर पड़ता है। अधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में हॉर्मोन, रसायन और योजक होते हैं, जो शरीर की प्राकृतिक वृद्धि को बाधित कर सकते हैं। इसके कारण लड़कियों को सही उम्र से पहले ही पीरियड्स आने शुरू हो जाते हैं।
बढ़ता मोटापा
दिनभर मोबाइल चलाने की बुरी आदत, अस्वस्थ डाइट और एक्सरसाइज की कमी के कारण बच्चों का मोटापा बढ़ता ही जा रहा है। लैंसेट के अध्ययन के अनुसार, 2022 में भारत में 5-19 वर्ष की 5.2 मिलियन लड़कियां मोटापे से ग्रस्त थीं। उच्च बॉडी मास इंडेक्स (BMI) वाली लड़कियां कम BMI वाली लड़कियों की तुलना में जल्दी प्युबर्टी का अनुभव करती हैं। अधिक वसा के कारण शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ जाता है, जो पीरियड्स के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन है।
तनाव और बिगड़ी हुई दिनचर्या
इन दिनों बच्चे मोबाइल के आदि होते जा रहे हैं और दिनभर घर के अंदर रहते हैं। ऐसी लाइफस्टाइल वाली बच्चियों का शरीर समय से पहले प्यूबर्टी का अनुभव करता है और उन्हें सही उम्र से पहले ही पीरियड्स होने लगते हैं। इसके अलावा, तनाव, आघात या चिंता भी असामयिक यौवन का कारण बन सकते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलाता है कि तनावपूर्ण माहौल में रहने वाली लड़कियों के पीरियड्स कम उम्र में ही शुरू हो जाते हैं।