लोगों को हैं मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े ये भ्रम, जानिए इनकी सच्चाई
कभी-कभी कई कारणों के चलते व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है और अपनी इन समस्याओं के कारण उसे सामाजिक तौर पर भी काफी कुछ झेलना पड़ता है। दरअसल, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों के मन में कई ऐसी धारणाएं या कहें कि भ्रम हैं जो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए कई अन्य समस्याएं खड़ी कर देते हैं। आइए ऐसे ही कुछ भ्रमों और उनकी सच्चाई जानते हैं।
भ्रम- मानसिक बीमारी लाइलाज होती है
बहुत से लोगों का ऐसा मानना है कि मानसिक बीमारी लाइलाज (कोई इलाज नहीं) होती है, लेकिन यह एक भ्रम से ज्यादा और कुछ नहीं है। दरअसल, अगर मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का समय रहते सही इलाज कराया जाए तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। बेशक मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को उभरने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन मानसिक बीमारी का इलाज संभव है।
भ्रम- मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे लोग काम नहीं कर सकते
शायद यह सबसे आम भ्रम है कि मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोग नौकरी नहीं कर सकते और उपयोगी नहीं होते हैं। हालांकि यह सच नहीं है। सच यह है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी आम समस्याओं से जूझ रहे लोग उतना ही काम कर सकते हैं, जितना एक पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति करता है। हां, गंभीर मानसिक समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को जरूर नियमित काम करने में असमर्थता हो सकती है।
भ्रम- मानसिक समस्याओं से पीड़ित लोग अधिक क्रोधित रहते हैं
यह भी सिर्फ एक भ्रम है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के रोगी अधिक क्रोधित रहते हैं और यह बात सच से कोसों दूर है। हो सकता है कि ऐसा कुछ मानसिक रोगियों में देखने को मिले, लेकिन हर मानसिक रोगी अधिक क्रोधित रहे, ऐसा जरूरी नहीं है। वैसे भी अगर डॉक्टर को मानसिक रोगी के व्यवहार में ऐसा कुछ लगता है तो वे उसे अन्य लोगों से दूर रखने की सलाह देते हैं।
भ्रम- कम उम्र में मानसिक समस्या नहीं होती
यह भी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक आम भ्रम है कि छोटी उम्र में मानसिक समस्या नहीं हो सकती है, जबकि यह एक गलत धारणा है। दरअसल, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकती हैं और इनके कारण काम में ध्यान न लगने जैसे कई अन्य लक्षण पैदा हो सकते हैं। वहीं अगर बच्चों को कोई मानसिक विकार होता है तो उनकी मजेदार गतिविधियों में दिलचस्पी घटने लगती है।