भारत के 5 अनोखे मंदिर, कहीं बुलेट तो कहीं पर चूहों की होती है पूजा
भारत सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता से समृद्ध है, जहां पर लाखों की संख्या में मंदिर हैं और करोड़ों देवी-देवताओं की पूजा होती है। इन सभी मंदिरों और देवी-देवताओं का अपना अलग-अलग महत्व है। हालांकि, इनमें से कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जो बहुत अनोखे हैं और असाधारण मान्यताओं का पालन करते हैं। चलिए फिर आज भारत में मौजूद ऐसे ही 5 अनोखे मंदिरों के बारे में जानते हैं।
करणी माता मंदिर, राजस्थान
बीकानेर में स्थित इस मंदिर में लगभग 25,000 से ज्यादा चूहे स्वतंत्र रूप से घूमते नजर आते हैं। स्थानीय लोग चूहों द्वारा खाए गए भोजन को पवित्र मानते हुए उन्हें दूध, मिठाइयां और अन्य खाद्य पदार्थ भी देते हैं। कमाल की बात तो यह है कि मंदिर परिसर में चूहों की इतनी ज्यादा आबादी होने के बावजूद कभी भी यहां से प्लेग जैसे संक्रामक रोग का कोई मामला सामने नहीं आया है।
कुत्तों का मंदिर, कर्नाटक
कर्नाटक के चन्नापटना में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जो कुत्तों का सम्मान करता है। यहां स्थानीय लोगों का मानना है कि कुत्ते देवताओं को श्रद्धांजलि देने से उन्हें सौभाग्य और सुरक्षा मिल सकती है। इसके अलावा इस मंदिर की अनूठी थीम के मुताबिक, यहां कई मुद्राओं में कुत्तों की मूर्तियां और चित्रण हैं, जो पशु प्रेमियों और आध्यात्मिक साधकों का ध्यान आकर्षित करते हैं।
बुलेट बाबा मंदिर, राजस्थान
राजस्थान में चोटिला नामक गांव है, जहां पर बुलेट बाबा मंदिर है। इस मंदिर में रॉयल एनफील्ड की 350cc की एक बुलेट है, जिसकी लोग पूजा करते हैं। दरअसल, यह बुलेट ओम सिंह राठौड़ की थी, जिनकी साल 1988 में सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उनकी बाइक को थाने ले जाया गया था, लेकिन वह हर अगले दिन हादसे वाली जगह पर ही मिलती थी, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने यहां उसका मंदिर बना दिया।
वीजा मंदिर
पंजाब के तल्हान में 150 साल पुराना गुरुद्वारा है, जिसके ऊपर एक बड़ा-सा विमान मॉडल है। यह वीजा चाहने वालों के बीच लोकप्रिय है। लोगों का मानना है कि अगर किसी को वीजा मिलने में कई समस्या हो रही है तो यह गुरुघर उनके लिए उम्मीद की किरण बन सकता है। यही वजह है कि यहां पर बहुत लोग वीजा पाने की अर्जी लगाने के लिए आते हैं। हैदराबाद में भी एक वीजा मंदिर है।
महात्मा गांधी मंदिर
ओडिशा के संभलपुर में महात्मा गांधी का मंदिर है। यह मंदिर गांधी को श्रद्धांजलि देने वाला भारत में पहला मंदिर है। इस मंदिर में 3.5 फीट ऊंची गांधी जी की कांस्य की प्रतिमा है, जो उनके सिद्धांतों और शिक्षाओं का प्रतीक है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां समानता के मूल्यों पर जोर दिया जाता है, इसलिए यहां एक दलित पुजारी द्वारा सभी अनुष्ठानों को किया जाता है।