आने वाला है क्रिसमस का त्योहार, उससे पहले जान लीजिए सांता क्लॉस की कहानी
पूरी दुनिया 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाएगी, जिस दौरान चमचमाती रोशनी और सजावट से लबरेज क्रिसमस ट्री देखने को मिलते हैं। वैसे तो यह पर्व यीशु मसीह के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, लेकिन इसका असली सितारा सांता क्लॉस को माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, सांता अपनी झोली में तोहफे भरकर लाते हैं और नन्हें-मुन्हें बच्चों को भेंट देते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर सांता क्लॉस की असल कहानी क्या है।
आखिर कौन हैं बच्चों के प्यारे सांता क्लॉस?
आज हम जिन्हें सांता कहकर पुकारते हैं, वह एक समय पर संत निकोलस नाम से जाने जाते थे। उनका जन्म ग्रीस में 230 ईस्वी में हुआ था और वह बड़े होकर रोम के मायरा शहर के धर्माध्यक्ष बन गए थे। अपने चमत्कारों के कारण वह धीरे-धीरे संतों और लोगों के बीच मशहूर होने लगे। चौथी शताब्दी के मध्य तक वह बच्चों के संरक्षक बन गए और उनके लिए तोहफे लाने लगे। उनके सांता बनने के पीछे 2 कहानियां प्रसिद्ध हैं।
संत निकोलस कैसे बने सांता क्लॉस?
संत निकोलस के सांता बनने की पहली कहानी 3 गरीब बच्चियों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। इन बच्चियों का परिवार गरीब था और उनकी आर्थिक स्तिथि सुधर नहीं पा रही थी। इसी परेशानी के चलते कुछ लोग बच्चियों से जबरन वेश्यावृत्ति करवाना चाहते थे। हालांकि, ऐसा होने से पहले ही संत निकोलस ने उन्हें बचा लिया। उन्होंने बच्चियों के घर में छिपकर 3 सोने की पट्टियां रख दीं, जिनकी मदद से परिवार की आर्थिक स्तिथि सुधर गई।
सांता की यह कहानी भी है मशहूर
दूसरी कहानी 3 युवा लड़कों के बारे में है। इन लड़कों को एक सराय के रखवाले ने जान से मार डाला था। संत निकोलस ने जब लड़कों के साथ हुआ अत्याचार देखा, तो उनसे रहा नहीं गया और वह मदद के लिए पहुंच गए। उन्होंने तीनों लड़कों के शवों को उठाया और उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। इसके बाद उन्होंने लाल कपड़ों और सफेद दाढ़ी वाली वेशभूषा अपनाई और बच्चों को तोहफे बांटने लगे।
सांता से जुड़ी कुछ अन्य रोचक बातें
असल मायने में देखा जाए तो सांता एक काल्पनिक चरित्र है, जो संत निकोलस से प्रेरित है। क्रिसमस के दिन बच्चे मोजे लटकाते हैं और उसके पास कुकी और दूध भी रखा जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि लोगों का मानना है कि सांता केवल कुकी ही खाते हैं। लोग यह भी मानते हैं कि सांता नार्थ पोल में रहते हैं, हिरनों वाले स्लेज पर सवारी करते हैं और क्रिसमस की रात को ही यात्रा पर निकलते हैं।