मोतियाबिंद: जानिए आंखों से जुड़ी इस बीमारी के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय
क्या है खबर?
मोतियाबिंद आंखों से जुड़ी बीमारी है। यह तब होती है, जब आंखों में प्रोटीन के गुच्छे जमा हो जाते हैं और लेंस रेटिना को स्पष्ट चित्र भेजने में असमर्थ होता है।
इसके कारण आंखों में धुंधलापन से लेकर कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं।
ऐसे में जरूरी है आपको इस बीमारी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें पता हों ताकि वक्त रहते इसका इलाज किया जा सके।
आइए आज मोतियाबिंद से जुड़ी कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
कारण
मोतियाबिंद होने के कारण
आंखों में प्रोटीन के गुच्छे बनना मोतियाबिंद होने का मुख्य कारण है।
टाइप 2 मधुमेह जैसी बीमारियों के कारण मोतियाबिंद होने का खतरा ज्यादा होता है।
कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स और क्लोर्प्रोमजीन जैसी दवाओं का सेवन भी मोतियाबिंद के जोखिम को बढा सकता है।
सूरज की हानिकारक UV किरणों के संपर्क में आने से मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ जाता है।
धूम्रपान और शराब जैसे नशीले पदार्थों के अधिक सेवन के कारण भी मोतियाबिंद हो सकता है।
लक्षण
मोतियाबिंद के लक्षण
आंखों से धुंधला दिखना, रंगों का फीका दिखना, रोशनी के आस-पास एक धुंधला-सा गोला दिखाई देना, दोहरी दृष्टि और रात के समय कुछ ठीक से नजर न आना मोतियाबिंद के सप्ष्ट लक्षण हैं।
गाड़ियों की हेडलाइट्स, लैंप या धूप चमकदार दिखाई देना और चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का नंबर बार-बार बदलना भी इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं।
ध्यान रखें कि ये लक्षण किसी अन्य आंख संबंधित समस्या के भी हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर से आंखें चेक करवाएं।
निदान
मोतियाबिंद का कैसे पता लगाया जा सकता है?
अगर आपको खुद में मोतियाबिंद के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें ताकि वह कुछ मेडिकल जांच करके यह बता सकें कि आपको यह बीमारी है या नहीं।
इसके लिए डॉक्टर आपको विजन टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। इससे आंखों के लेंस और रेटिना की स्थिति का पता लगाया जाता है।
इसके अलावा डॉ़क्टर आपको टोनोमेट्री टेस्ट या फिर रेटिना से जुड़े कुछ टेस्ट कराने के निर्देश दे सकता है।
बचाव
मोतियाबिंद से बचने के उपाय
अगर आप मोतियाबिंद से बचकर रहना चाहते हैं तो अपनी डाइट में विटामिन-A, विटामिन-C और विटामिन-E युक्त खाद्य पदार्थों को जरूर शामिल करें।
ध्रूमपान, शराब और अन्य नशीले पदार्थों से दूरी बना लें।
मधुमेह का ठीक से उपचार करवाएं ताकि यह मोतियाबिंद का कारण न बन सके।
धूप में निकलते समय सनग्लास जरूर लगाएं।
मोबाइल और टीवी जैसे उपकरणों से थोड़ी दूरी बनाने की कोशिश करें क्योंकि इनसे भी आंखें प्रभावित होती हैं।
समय-समय पर आंखों की जांच जरूर करवाएं।