प्रधानमंत्री मोदी ने गीजा के पिरामिडों का दौरा किया, जानिए इनसे जुड़े तथ्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मिस्र की यात्रा से वापस देश लौट आए हैं। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई महत्वपूर्ण जगहों का दौरा किया। इसमें गीजा के पिरामिडों की यात्रा भी शामिल थी, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मैडबौली भी बीते रविवार को गीजा के पिरामिड देखने गए थे। आइए आज हम आपको इन पिरामिडों से जुड़े कुछ तथ्य बताते हैं, जो इन्हें खास बनाते हैं।
यहां देखिए प्रधानमंत्री मोदी की मिस्र यात्रा की तस्वीरें
7 अजूबों में शामिल हैं पिरामिड
गीजा के पिरामिड दुनिया के 7 अजूबों में शामिल हैं। इनका निर्माण 26वीं शताब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत में हुआ था। यह एकमात्र ऐसा ढांचा है, जो काफी हद तक अपने मूल स्वरूप में बरकरार है। 'ग्रेट पिरामिड' मिस्र के गीजा का सबसे बड़ा पिरामिड है, जो पुराने साम्राज्य के चौथे राजवंश के शासक खुफू की कब्र पर बना है। गीजा के ग्रेट, खाफरे और मेनक्योर पिरामिड को यूनेस्को ने साल 1979 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।
मिस्र का सबसे बड़ा पिरामिड है 'ग्रेट पिरामिड'
'ग्रेट पिरामिड' मिस्र के काहिरा शहर के ठीक बाहर एक चट्टानी चट्टान पर बनाया गया था और यह 146.6 मीटर ऊंचा है। इसके निर्माण का श्रेय फिरौन खुफू को दिया जाता है। इसकी तुलना की बात करें तो दिल्ली में 13वीं सदी में निर्मित किया गया कुतुब मीनार है, जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है। बता दें कि कुतुब मीनार को साल 1993 में यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में जगह मिली।
136 मीटर ऊंचा है खाफरे पिरामिड
ग्रेट पिरामिड के बाद दूसरा सबसे बड़ा पिरामिड खाफरे पिरामिड है। इसका निर्माण फिरौन खाफरे के लिए किया गया और यह ग्रेट पिरामिड से थोड़ा ही छोटा है। यह 136 मीटर ऊंचा है और शीर्ष पर इसके मूल आवरण वाले पत्थरों के कारण यह सबसे ऊंचा प्रतीत होता है। खाफरे के बाद तीसरा सबसे बड़ा पिरामिड मेनकौर है, जो 65 मीटर ऊंचा है। इसे फिरौन मेनक्योर के लिए बनाया गया था।
कई सालों पहले किया गया था इन पिरामिडों का निर्माण
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इन 3 पिरामिडों का निर्माण 2600 ईसा पूर्व से 2500 ईसा पूर्व के बीच हुआ था। कई इतिहासकार मिस्र के इतिहास को 3 मुख्य कालखंडों में विभाजित करते हैं- पुराना साम्राज्य (लगभग 2700 से 2200 ईसा पूर्व), मध्य साम्राज्य (2050 से 1800 ईसा पूर्व) और नया साम्राज्य (1550 से 1100 ईसा पूर्व)। इस हिसाब से माना जाता है कि इन भव्य संरचनाओं का निर्माण पुराने साम्राज्य के चौथे राजवंश द्वारा करवाया गया था।
चूना पत्थरों के उपयोग से बने हैं ये पिरामिड
इन संरचनाओं का निर्माण चूना पत्थर के ब्लॉकों का उपयोग करके किया गया था। पिरामिडों में टनों वजनी पत्थर लगे हुए हैं। उस जमाने में इन्हें इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचाया गया, ये अभी तक एक बड़ा रहस्य बना हुआ है। कई इतिहासकारों के मुताबिक, पत्थरों के इन विशाल खंडों को एक दूसरे के ऊपर सेट करने के लिए रैंप और स्लेज का उपयोग किया गया था। हालांकि, इसके लिए कई किलोमीटर लंबी रैंप की जरूरत पड़ी होगी।