ईस्टर पर करें गोवा का रुख, मिलेगा इन 5 असामान्य त्योहारों में शामिल होने का मौका
क्या है खबर?
अगर आप 26 मार्च से 8 अप्रैल के बीच गोवा की यात्रा पर जा रहे हैं, तो हमेशा की पार्टियों या बीच से दूर रहें। आप इन चीजों के बजाए गोवा के असामान्य त्योहारों में भाग ले सकते हैं, जो संस्कृति का जश्न मनाते हैं।
घोड़े के नृत्य से लेकर जेनी उज्जो तक, इन सभी समारोहों के जरिए आप यहां की परंपराओं को समझ सकेंगे। ईस्टर के समय गोवा आएं तो इन 5 खास त्योहारों में शिरकत देना न भूलें।
#1
शिग्मो महोत्सव
शिग्मो या शिशिरोत्सव एक वसंत त्योहार है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं का जश्न मनाता है। सूरज डूबते ही सड़कों पर एक फ्लोट परेड निकाली जाती है और ढोल-ताशे बजाए जाते हैं।
इसके 2 रूप हैं: धाक्तो शिग्मो (छोटा शिग्मो) और व्हाडलो शिग्मो (बड़ा शिग्मो)। धाक्तो शिग्मो मुख्य रूप से किसानों, मजदूरों और ग्रामीण समुदायों द्वारा मनाया जाता है, जबकि व्हाडलो शिग्मो एक बड़े पैमाने का उत्सव है।
इस साल यह 26 मार्च से 8 अप्रैल तक मनाया जाएगा।
#2
जेनी उज्जो
हर साल पहली पूर्णिमा की रात को, क्वेपेम में मोलकोर्नम गांव एक सदियों पुराना समारोह मनाता है, जिसे जेनी उज्जो कहते हैं। यह अनुष्ठान गांव की मान्यताओं का सम्मान करता है और वसंत फसल उत्सव की तरह भी मनाया जाता है।
सूखे गाय के गोबर के उपले, जिन्हें स्थानीय रूप से जेनी कहा जाता है, और पत्तियों को एक साथ मारकर चिंगारी जलाई जाती है, जिसे उज्जो कहते हैं।
इस आग को घेरते हुए सभी ग्रामीण नाचते हैं।
#3
घोडे मोदनी
घोडे मोदनी एक सदियों पुरानी परंपरा है, जो घुड़सवारी और मार्शल आर्ट का शानदार प्रदर्शन करती है। इसमें योद्धा की पोशाक पहने कलाकार सजे हुए घोड़ों पर सवार होते हैं।
खुरों की लयबद्ध ध्वनि और कलाकारों की रंगीन पोशाक एक मनमोहक दृश्य पैदा करती है। घोडे मोदनी लोक नृत्य शिग्मो उत्सव का एक महत्वपूर्ण आकर्षण है, जो गोवा में बसंत के मौसम के दौरान मनाया जाता है।
#4
चोरोत्सव
चोरोत्सव, जिसे 'चोरों का त्योहार' भी कहा जाता है, सत्तारी तालुका के जर्मे गांव में मनाया जाने वाला एक अनोखा उत्सव है। इसमें स्थानीय लोग शरारती चोरों की तरह कपड़े पहनते हैं और नकली डकैतियों से लेकर हास्य प्रदर्शन करते हैं।
इस उत्सव में 4 प्रतिभागियों को केवल उनके सिर बाहर निकालकर दफनाया जाता है, जबकि अन्य 4 के सिर गड्ढों में डुबोए जाते हैं। यह त्योहार प्राचीन काल की एक दुखद घटना को दर्शाता है।
#5
शीशा रन्नी
कैनाकोना के मल्लिकार्जुन मंदिर में आयोजित शिशरन्नी में जमीन पर लेटने वाले 3 लोगों के सिर पर बर्तन रखकर चावल पकाया जाता है।
गांवडोंगोरिम के 3 ग्रामीण लकड़ी की आग पर चावल पकाने के लिए स्टोव के रूप में अपने सिर की पेशकश करते हैं। इन चुने गए लोगों के सिर गीले कपड़े और केले के तने से ढके जाते हैं।
शीशा के पेड़ की शाखाओं को बर्तन के नीचे जलाया जाता है, जिससे खाना पकाने का चूल्हा बनता है।