LOADING...
छठ पूजा: जानिए इस त्योहार का इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण बातें
छठ पूजा से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें (तस्वीर: विकिपीडिया कॉमन्स)

छठ पूजा: जानिए इस त्योहार का इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण बातें

लेखन अंजली
Nov 14, 2023
02:59 pm

क्या है खबर?

छठ पूजा का वार्षिक 4 दिवसीय त्योहार नजदीक है, जिसे बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान सूर्य को समर्पित है। इसके दौरान महिलाएं कठोर व्रत रखती हैं और भगवान सूर्य समेत छठी मैया से अपने परिवार और बच्चों की खुशहाली, समृद्धि और प्रगति के लिए प्रार्थना करती हैं। आइए आज हम आपको इस त्योहार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।

तिथि

छठ पूजा की सही तिथि

छठ पूजा दिवाली के 6 दिन बाद मनाई जाती है। इस साल छठ पूजा 19 नवंबर को पड़ेगी। इसकी शुरुआत 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ होगी, इसके बाद 18 नवंबर को खरना और 20 नवंबर को छठ पूजा और उषा अर्घ्य होगा। प्रत्येक दिन छठी का पालन करने वाले लोग कठोर रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। द्रिक पंचांग के अनुसार, छठ पूजा पर सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा।

इतिहास

महाभारत से जुड़ा है इस त्योहार का इतिहास

छठ पूजा से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं और कुछ का उल्लेख ऋग्वेद ग्रंथों में भी मिलता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्रौपदी और पांडव अपने राज्य को दोबारा पाने और अपने मुद्दों को हल करने के लिए छठ पूजा का पालन करते थे। एक अन्य किंवदंती कहती है कि सूर्य पुत्र कर्ण छठ पूजा करते थे। उन्होंने महाभारत काल के दौरान आधुनिक बिहार के भागलपुर पर शासन किया था।

Advertisement

महत्व

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा के दौरान भक्त अर्घ्य देते हैं और भगवान सूर्य समेत छठी मैया से उनका आशीर्वाद प्राप्त करने और अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों की समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय भक्त ऋग्वेद ग्रंथों के मंत्रों का भी जाप करते हैं। यह भी कहा जाता है कि वैदिक युग के ऋषि सूर्य की किरणों से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए खुद को सीधी धूप में रखकर छठ पूजा करते थे।

Advertisement

तरीका

छठ मनाने का तरीका

छठ के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है। इसमें भक्त गंगा नदी आदि के पवित्र जल में स्नान करते हैं और भगवान सूर्य के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है। इन दिनों महिलाएं कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। छठ पर महिलाएं तालाब या पानी में खड़े होकर डूबते सूरज को अर्घ्य देती हैं। चौथे दिन (उषा अर्घ्य) महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और अपना 36 घंटे का व्रत तोड़ती हैं।

Advertisement