दुनियाभर के विशेष बलों की पहली पसंद है बेल्जियन मैलिनोइस नस्ल के कुत्ते, जानिए क्यों
दुनियाभर में सशस्त्र बलों और पुलिस द्वारा विभिन्न कार्यों के लिए लंबे समय से कुत्तों का उपयोग किया जाता आ रहा है। दुनियाभर के विशेष बलों के बीच बेल्जियन मैलिनोइस कुत्तों की नस्ल तेजी से लोकप्रिय हो रही है। अमेरिका, यूरोप और इजराइल में सेनाओं की पहली पसंद होने के बाद बेल्जियन मैलिनोइस अब भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के आगामी अभियानों में लैब्राडोर कुत्तों की जगह लेने को तैयार हैं। आइए बेल्जियन मैलिनोइस की विशेषताएं जानें।
सबसे पहले इस काम के लिए दिया गया प्रशिक्षण
अमेरिकन केनेल क्लब के मुताबिक, बेल्जियन मैलिनोइस एक बहुमुखी, वफादार और मेहनती नस्ल है, जिन्हें 1800 के दशक में भेड़ चराने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हालांकि, समय के साथ इन कुत्तों की प्रतिभा का विकास हुआ, जिनमें खेतों और परिवारों की रक्षा करना सहित सैन्य अभियान शामिल थे। हाईलैंड कैनाइन ट्रेनिंग के एक लेख के अनुसार, इन कुत्तों की प्रतिभा के कारण इनको पहली बार द्वितीय विश्व युद्ध में सैन्य उद्देश्यों के लिए तैनात किया गया था।
बेल्जियन मैलिनोइस की विशेषताएं
बेल्जियन मैलिनोइस अमेरिका में पुलिस विभागों द्वारा चुनी गई शीर्ष नस्लों में से एक है क्योंकि उनकी सूंघने की गहरी समझ, बहादुरी और बुद्धिमत्ता उन्हें सैन्य अभियानों के लिए आदर्श बनाती है। अमेरिकन केनेल क्लब ने कहा, "बेल्जियन मैलिनोइस के पास संभावित खतरनाक व्यक्ति को नियंत्रित करने की भी ताकत होती है।" द प्रिंट के मुताबिक, इन कुत्तों का आकार जर्मन शेफर्ड की तुलना में छोटा होता है, जिस कारण ये छोटी जगहों से आसानी से बाहर निकल सकते हैं।
वर्तमान में CRPF में 90 प्रतिशत कुत्ते हैं बेल्जियन मैलिनोइस
भारत में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) बेल्जियन मैलिनोइस का उपयोग करने वाला पहला बल था। CRPF के एक अधिकारी ने पिछले साल TOI को बताया था कि बल में 90 प्रतिशत कुत्ते बेल्जियन मैलिनोइस हैं, जिन्हें विस्फोटक खोजने आदि के लिए तैनात किया जाता है। इन कुत्तों का उपयोग पहली बार साल 1999 में भारतीय सेना द्वारा किया गया था, लेकिन इनके आक्रामक स्वभाव के कारण इन्हें बाहर कर दिया गया था। साल 2019 में इनकी वापसी हुई।
कई महत्वपूर्ण सैन्य ऑपरेशन का हिस्सा बन चुके हैं बेल्जियन मैलिनोइस
बेल्जियन मैलिनोइस को साल 2011 में ऑपरेशन नेपच्यून स्पीयर के दौरान महत्वपूर्ण पहचान मिली, जब अमेरिकी नौसेना सील टीम ने छापा मारा और आतंकवादी संगठन अल-कायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में उसके एबटाबाद परिसर में सफलतापूर्वक मारा डाला। इसी तरह साल 2019 में भी इस नस्ल के कुत्ते ने सीरिया में अमेरिकी विशेष बलों की छापेमारी के दौरान ISIS नेता अबू बकर अल-बगदादी का पीछा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
लैब्राडोर की जगह बेल्जियन मैलिनोइस को क्यों ले रही NSG?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, NSG के लैब्राडोर दस्ते की जगह बेल्जियन मैलिनोइस को लिया जाएगा। NSG ने इन कुत्तों के साथ बंधक संकट सहित आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल करने के लिए प्रशिक्षण सत्र शुरू किए हैं। NSG की K9 यूनिट की देखरेख करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल आरबी शर्मा ने बताया कि बेल्जियन मैलिनोइस के विपरीत लैब्राडोर जल्दी थक जाते हैं और ऑपरेशन के दौरान चंचल हो सकते हैं।