अक्टूबर में घूमने के लिए कम भीड़-भाड़ वाली जगह की तलाश में हैं? ये विकल्प देंखे
अक्टूबर तक मानसून खत्म हो जाता है और मौसम बदल रहा होता है। ऐसे में अगर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ घूमने के लिए किसी ऐसी जगह की तलाश में हैं, जहां का मौसम सुहावना और भीड़-भाड़ भी न हो तो इसके लिए भारत में कई बेहतरीन पर्यटन स्थल हैं। आइए आज हम आपको ऐसी ऑफबीट जगहों के बारे में बताते हैं, जहां अक्टूबर को घूमने के लिए अच्छा समय माना जाता है।
पर्वाणू
हिमाचल प्रदेश में स्थित पर्वाणू चंडीगढ़ वालों को काफी नजदीक पड़ सकता है। इसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों कसौली और पिंजौर का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। यह फल के बागों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। आप यहां आकर केबल कार से टाइबर ट्रेल रिसॉर्ट तक जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त यहां आकर आप कैक्टस गार्डन, स्थानीय मंदिरों, गोरखा किले और फलों के बागों की यात्रा कर सकते हैं।
ओंगोल
आंध्र प्रदेश में स्थित ओंगोल एक खूबसूरत पर्यटक स्थल है, जो अपने छिपे सौंदर्य के कारण ऑफबीट पर्यटकों के बीच बहुत मशहूर है। यह जगह मौर्य राजवंश के समय से ही अस्तित्व में है इसलिए यहां कई ऐतिहासिक स्थल और प्राचीन मंदिर देखे जा सकते हैं। यहां आकर आप चेन्नेकेशवा स्वामी मंदिर, कोठापटनम बीच, चंदावरम आदि पर्यटक स्थलों की सैर कर सकते हैं।
खिर्सू
उत्तराखंड में स्थित खिर्सू भी एक ऑफबीट पर्यटन स्थल है, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल है। देवदार, चीड़ और ओक के पेड़ों के साथ-साथ सेब के खूबसूरत बागों से घिरी यह जगह हैमलेट ट्रेकिंग जैसी एडवेंचर गतिविधियों का आनंद लेने के लिए शानदार है। जब आप यहां आएं तो घंडियाल देवता और कंडोलिया देवता मंदिरों की यात्रा करना न भूलें। यहां जानिए देहरादून के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल।
पचमलाई हिल्स
तमिलनाडु में स्थित पचमलाई हिल्स अपने जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की वनस्पति अधिकांश हिल स्टेशनों की तुलना में समृद्ध है। कल्लार और स्वेता नदियां इस जगह से होकर बहती हैं। यही नहीं यहां कई झरने भी हैं, जो अच्छे पिकनिक स्पॉट हो सकते हैं। ट्रेकिंग के लिए भी यह एक आदर्श स्थान है। पचमलाई हिल्स पर जाकर आपको न सिर्फ शहरी जीवन से कुछ पल का सुकून मिलेगा बल्कि यहां बहुत आनंद भी आएगा।
धामेक स्तूप (उत्तर प्रदेश)
उत्तर प्रदेश में स्थित धामेक स्तूप बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्मारकों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि ज्ञान प्राप्त करने के बाद भगवान बुद्ध ने यहीं पर अपना पहला प्रवचन दिया था। यह स्तूप लगभग 43.6 मीटर ऊंचा और 28 मीटर चौड़ा है। इसके अतिरिक्त यह मिट्टी और ईंटों से बना हुआ है। इस स्तूप का निचला हिस्सा गुप्त मूल के पुष्पों की नक्काशी से सजा हुआ है। वहीं इसके आस-पास का नजारा भी काफी खूबसूरत है।