कोरोना से लेकर मंकीपॉक्स तक, केरल में क्यों दस्तक देती हैं इतनी बीमारियां?
क्या है खबर?
कोरोना से देश के सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में शामिल केरल में अब मंकीपॉक्स संक्रमण ने चिंता बढ़ा दी है। यह देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला है। देश में कोरोना का पहला मामला भी केरल में सामने आया था।
इसके अलावा भी यहां निपाह, जीका वायरस, क्यासनुर फॉरेस्ट डिसीज समेत कई अन्य वायरस पैर पसार चुके हैं।
ऐसे में आइये समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर केरल में क्यों इतनी बीमारियां दस्तक देती हैं।
बीमारियां
केरल में सामने आए हैं इन वायरसों के मामले
पिछले कुछ सालों में केरल में चिकनगुनिया, जापानी इनसेफ्लाइटिस, एक्युट इनसेफ्लाइटिस सिंड्रोम, वेस्ट नील इनसेफ्लाइटिस, डेंगू, वायरल हेपटाइटिस, निपाह, स्वाइन फ्लू और कोरोना समेत कई बीमारियां अपनी मौजूदगी दर्ज करवा चुकी हैं।
बीते कुछ महीनों में यहां जीका वायरस और एंथरेक्स के भी मामले सामने आये हैं।
हालांकि, राहत की बात यह रही कि मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था के चलते केरल समय रहते इनमें से अधिकतर बीमारियों पर काबू पाने में सफल रहा है।
कारण
केरल में क्यों सामने आती हैं इतनी बीमारियां?
इसके पीछे के कई कारणों में से एक है कि केरल के लोग पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहां की कनेक्टिविटी अच्छी है।
केरल से बड़ी संख्या में डॉक्टर और नर्सें अलग-अलग देशों में काम करते हैं। इसी तरह बड़ी संख्या में छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। ये ऐसे लोग हैं, जिन्हें पेशेवर जोखिम के तौर पर वायरसों और बीमारियों के खतरे का सामना करना पड़ता है।
केरल
ये हैं दूसरी वजहें
नैचर जर्नल में छपे एक लेख के अनुसार, जंगलों का कम होना, पालतू जानवरों का अधिक घनत्व और उच्च जनसंख्या घनत्व जैसे कारक भी लगातार सामने आ रही बीमारियों की वजहें हो सकती हैं।
जानकारों का मानना है कि पशुओं की प्राकृतिक रिहायश पर इंसानों का अतिक्रमण वायरसों के फैलने को निमंत्रण दे सकता है क्योंकि इससे जंगली प्रजातियों, पालतू जानवरों और इंसानों के बीच का फासला कम होता जा रहा है।
बीमारियों की वजह
"इंसानों इलाकों में बढ़ी है चमगादड़ों की पहुंच"
मातृभूमि से बात करते हुए तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रमुख डॉ टीएस अनीश ने बताया कि पश्चिमी घाट के जंगलों में इंसानों का अतिक्रमण और जंगलों में फलों की कमी के चलते चमगादड़ अब इंसानी रिहायशी इलाकों की तरफ आने लगे हैं। चमगादड़ों में कई तरह की बीमारियां होती हैं, जिनके इंसानों तक पहुंचने का खतरा बढ़ गया है।
इनके अलावा कई अन्य जंगली जानवरों का भी इंसानों के बीच आना-जाना बढ़ गया है।
केरल
ये हैं अन्य कारण
डॉ अनीस ने बताया कि सिवेट बिल्लियों के प्राकृतिक निवास उजड़ गए हैं और अब ये लगभग शहरी जानवर बन गए हैं। इनमें कई वायरस होते हैं, जो सिवयर एक्युट रेस्परेटरी सिंड्रोम (SARS) का कारण बन सकते हैं। इसी तरह चमगादड़ भी निपाह और इबोला वायरस फैला सकते हैं।
इसके अलावा कचरे के ठीक से निस्तारण न होने के कारण चूहों आदि की संख्या बढ़ती है, जो बीमारियां फैलाने का एक कारण बनते हैं।
जानकारी
कोरोना से दूसरा सर्वाधिक प्रभावित राज्य है केरल
महाराष्ट्र के बाद केरल देश में कोरोना वायरस महामारी से दूसरा सर्वाधिक प्रभावित राज्य बना हुआ है। यहां करीब 67 लाख लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है 70,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।