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क्या है तुलबुल नेविगेशन परियोजना, जिसे दोबारा शुरू कर पाकिस्तान को झटका देना चाहता है भारत? 
भारत ने तुलबुल नेविगेशन परियोजना के तहत पाकिस्तान को झटका देने की तैयारी शुरू कर दी है

क्या है तुलबुल नेविगेशन परियोजना, जिसे दोबारा शुरू कर पाकिस्तान को झटका देना चाहता है भारत? 

Jul 01, 2025
03:34 pm

क्या है खबर?

भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने और 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाने के बाद पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से विवादों में उलझी अपनी तुलबुल नेविगेशन परियोजना को फिर से शुरू करने का निर्णय किया है। इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं यह परियोजना क्या है और इससे पाकिस्तान को कैसे झटका लगेगा।

परियोजना

क्या है तुलबुल नेविगेशन परियोजना?

तुलबुल नेविगेशन परियोजना जम्मू-कश्मीर के सोपोर क्षेत्र में झेलम नदी पर बनने वाली एक जल भंडारण परियोजना है। इस परियोजना को 1984 में शुरू किया गया था। इसके जरिए सर्दियों के मौसम में वुलर झील के पानी को व्यर्थ बहने से रोका जाना था। परियोजना में वुलर झील के मुहाने पर करीब 439 फीट लंबा और 40 फीट चौड़ा नेविगेशन लॉक बनाना था। बता दें कि वुलर झील एशिया की सबसे बड़ी ताजे पानी की झीलों में से एक है।

उद्देश्य

क्या था इस परियोजना का उद्देश्य?

इस परियोजना का मकसद था कि झेलम नदी में जब पानी कम हो तब भी नाव-जहाज आसानी से चल सकें। इसके लिए वुलर झील में करीब 3 लाख एकड़-फीट पानी जमा करके नदी की गहराई कम से कम 4.5 फीट बनाए रखी जानी थी। इससे श्रीनगर और बारामूला के बीच नावों की आवाजाही बढ़ती, जो व्यापार और कनेक्टिविटी दोनों के लिए अच्छी होती। इसके साथ ही इससे सिंचाई और बिजली उत्पादन में भी मदद बड़ी मदद मिलने की उम्मीद है।

रुकावट

क्यों रुक गया था इस परियोजना का काम?

पाकिस्तान के विरोध की वजह से 1985 में इस परियोजना का काम रोक दिया गया था। साल 1986 में पाकिस्तान ने इस मामले को सिंधु जल आयोग में उठाया और 1987 में यह परियोजना ठप हो गई। 2010 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने इसे फिर शुरू करने की कोशिश की थी। उस दौरान सिंचाई मंत्री ताज मोहिद्दीन ने कहा था कि सिंधु जल संधि के नियमों के हिसाब से ऐसी परियोजना की इजाजत है, लेकिन बात फिर भी नहीं बन पाई।

विरोध

पाकिस्तान ने क्यों करता है परियोजना का विरोध?

पाकिस्तान का आरोप रहा है कि यह परियोजना असल में एक बैराज है, जिसकी भंडारण क्षमता 0.369 अरब घन मीटर है, जो सिंधु जल संधि का उल्लंघन है। हालांकि, भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि यह परियोजना जल भंडारण के बजाय जल प्रवाह नियंत्रित करने और नौवहन सुविधा के लिए है। संधि के तहत भारत को नौवहन, बिजली परियोजना जैसे गैर उपभोगी उपयोग के लिए पानी के इस्तेमाल की अनुमति है, बशर्ते इससे पाकिस्तान पर असर न पड़े।

जानकारी

आतंकियों ने किया परियोजना के बांध पर ग्रेनेड हमला

पाकिस्तान के विरोध के बाद साल 2012 में पाकिस्तान के आतंकवादियों ने परियोजना के बांध पर ग्रेनेड हमला भी किया था। हालांकि, उसमें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। 2008 से 2014 के बीच परियोजना का 60 प्रतिशत से अधिक काम हो गया था।

फायदा

परियोजना से भारत को कैसे होगा फायदा?

इस परियोजना से भारत को सिंधु जल संधि के तहत मिली पानी की हिस्सेदारी का फायदा उठाने में मदद मिलेगी। इससे पानी की बर्बादी कम होगी और पानी कम होने के मौसम में भी स्थानीय जरूरतें पूरी हो सकेंगी। इससे झेलम नदी में नौवहन बढ़ेगा, जो कश्मीर में पुराने समय से व्यापार का बड़ा जरिया रहा है। कश्मीर की स्थानीय बाजार मजबूत होंगे, रोजगार बढ़ेंगे और कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी। इससे कश्मीर के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

नुकसान

इस परियोजना से पाकिस्तान को क्या होगा नुकसान?

झेलम नदी सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिली है। भारत इसका गैर उपभोगी उपयोग कर सकता है। भारत परियोजना के तहत 3 लाख एकड़-फीट पानी जमा करने में सक्षम होगा, जिससे पाकिस्तान की तरफ बहने वाले पानी को उसका पूरा नियंत्रण हो जाएगा। ऐसे में पाकिस्तान में खेती के लिए पानी की कमी पड़ सकती है और उसकी अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा जाएगी। यही कारण है पाकिस्तान इस परियोजना को 'युद्ध की तैयारी' मानता है।

सवाल

भारत फिर से कैसे शुरू कर सकता है परियोजना का काम?

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को झटका देते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। वह अब संधि की शर्तों को मानने के लिए बाध्य नहीं है। बड़ी बात यह है कि संधि में अहम भूमिका निभाने वाले विश्व बैंक ने भी इसमें हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। ऐसे में भारत अब अपने यहां बहने वाली नदियों को अपने हिसाब से नियंत्रित करने के लिए स्वतंत्र है। यही पाकिस्तान के लिए खतरा है।