
क्या है वुलर झील पर तुलबुल नेविगेशन परियोजना, जिसको लेकर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भिड़े?
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती शुक्रवार को वुलर झील पर तुलबुल नेविगेशन बैराज परियोजना को लेकर भिड़ गए।
दरअसल, गुरुवार को अब्दुल्ला ने एक्स पर 38 साल से बंद पड़ी परियोजना को सिंधु समझौता रद्दीकरण के बहाने फिर शुरू करने की बात कही थी, जिससे मुफ्ती नाराज हो गईं।
उन्होंने अब्दुल्ला को गैर-जिम्मेदार कहा, जिसके बाद दोनों तरफ से कई ट्वीट किए गए।
आइए, जानते हैं क्या है परियोजना, जिसको लेकर राजनीतिक धूरियां हैं?
सुझाव
पहले जानिए, अब्दुल्ला ने वीडियो साझा कर क्या कहा था?
अब्दुल्ला ने हवाई दौरे के दौरान एक वीडियो साझा कर लिखा, 'उत्तरी कश्मीर में वुलर झील। आप जो सिविल कार्य देख रहे हैं, वह तुलबुल नेविगेशन बैराज है। यह 1980 के दशक में शुरू हुआ, लेकिन सिंधु जल संधि का हवाला देकर पाकिस्तान के दबाव में इसे छोड़ना पड़ा। अब जब संधि निलंबित है, तो क्या हम इस परियोजना को फिर शुरू कर पाएंगे। हमें नेविगेशन के लिए झेलम के उपयोग का लाभ मिलेगा। इससे विद्युत उत्पादन में सुधार होगा।'
नाराजगी
इसी बात से नाराज हो गईं मुफ्ती
अब्दुल्ला के इस पोस्ट से मुफ्ती बुरी तरह नाराज हो गईं और उन्होंने पोस्ट में ही अब्दुल्ला को गैर-जिम्मेदार बता दिया।
उन्होंने लिखा, 'भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच उमर अब्दुल्ला का तुलबुल नेविगेशन परियोजना को पुनर्जीवित करने का आह्वान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।'
उन्होंने लिखा कि ऐसे नाजूक समय में ऐसा बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि खतरनाक भड़काऊ भी हैं, पानी जैसी आवश्यक चीज को हथियार बनाना न केवल अमानवीय है, बल्कि द्विपक्षीय मामले को अंतरराष्ट्रीय बनाने का जोखिम भी है।
जवाब
एक्स पर झगड़ा बढ़ा
यह एक्स युद्ध तब और बढ़ गया, जब मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने मुफ्ती की टिप्पणी का जवाब दिया और उनको सीमा पार बैठे लोगों को खुश करने वाला बताया।
इसके बाद मुफ्ती ने जवाब दिया कि समय बताएगा कि कौन किसको खुश करना चाहता है, लेकिन यह न भूले कि आपके दादा शेख साहब ने पाकिस्तान विलय की वकालत की थी।
इसके बाद अब्दुल्ला ने इस बात से अपनी बात खत्म की कि वह पानी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करेंगे।
तनाव
क्या है तुलबुल नेविगेशन परियोजना?
तुलबुल नेविगेशन बैराज को वुलर बैराज भी कहते हैं, जो बांदीपोरा जिले में स्थित वुलर झील के मुहाने पर झेलम नदी पर निर्माणाधीन परियोजना है।
परियोजना का काम 1984 में शुरू हुआ, लेकिन पाकिस्तान ने इसे 1960 में हुए सिंधु जल संधि का उल्लंघन बताकर 1987 में रुकवा दिया। उसका मानना था कि इससे भारत को पाकिस्तान में बाढ़ या सूखा पैदा करने की क्षमता मिलेगी।
हालांकि, तब तक करीब 20 करोड़ रुपये का काम हो चुका था।
उपयोग
इस परियोजना से भारत को क्या होगा फायदा?
वुलर झील के मुहाने पर 440 फीट लंबा नौवहन लॉक-कम-नियंत्रण ढांचा, झेलम के पानी को रोकने के लिए 3 लाख अरब क्यूबिक मीटर की भंडारण क्षमता तैयार की गई थी।
इससे दक्षिण से उत्तरी कश्मीर तक 100 किलोमीटर का नौवहन गलियारा बनता और झेलम का पानी रुकता और नदी में कभी सूखा नहीं पड़ता। एक लाख एकड़ जमीन की सिंचाई हो पाती।
साथ ही विद्युत उत्पादन के लिए पानी का प्रबंधन करने का काम हो सकता था।
विवाद
भारत ने पाकिस्तान के साथ तोड़ दिया सिंधु जल समझौता
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने 26 पर्यटकों को उनके परिजनों के सामने गोलियों से भून दिया, जिसके बाद भारत ने कूटनीतिक कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तोड़ दिया।
समझौता तोड़ने से पाकिस्तान को फौरी तौर पर तो कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन लंबे समय तक समझौता बहाल न हुआ तो उनके यहां सूखे की समस्या आ सकती है।
पाकिस्तान ने भारत से समझौता बहाल करने की सिफारिश की है।
ट्विटर पोस्ट
उमर अब्दुल्ला का पोस्ट, जिस पर बढ़ा विवाद
The Wular lake in North Kashmir. The civil works you see in the video is the Tulbul Navigation Barrage. It was started in the early 1980s but had to be abandoned under pressure from Pakistan citing the Indus Water Treaty. Now that the IWT has been “temporarily suspended” I… pic.twitter.com/MQbGSXJKvq
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 15, 2025