
पाकिस्तान पर कर्ज ऐतिहासिक उच्चतम स्तर पर पहुंचा, 10 साल में 5 गुना बढ़ा
क्या है खबर?
पाकिस्तान के आर्थिक हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। उस पर पिछले 10 सालों में कर्ज 5 गुना बढ़ गया है। फिलहाल पाकिस्तान पर कर्ज 76,007 बिलियन पाकिस्तानी रुपये हो गया है, जो इतिहास में सबसे ज्यादा है।
2020 में पाकिस्तान पर कर्ज 39,860 बिलियन रुपये था। यानी पड़ोसी मुल्क पर पिछले 4 साल में कर्ज लगभग दोगुना हो गया है।
ये आंकड़े पाकिस्तानी वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण में सामने आए हैं।
कर्ज
बीते 9 महीने में 6.7 प्रतिशत बढ़ा कर्ज
न्यूज18 ने आर्थिक सर्वे दस्तावेजों के हवाले से बताया कि कुल 76,007 बिलियन रुपये में 51,518 बिलियन रुपये घरेलू और 24,489 बिलियन रुपये विदेशी कर्ज शामिल है।
10 साल पहले यह आंकड़ा 17,380 बिलियन रुपये था। यानी एक दशक में पाकिस्तान पर कर्ज लगभग 5 गुना बढ़ गया है।
सर्वे में कहा गया है, "वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों के दौरान सार्वजनिक ऋण में 6.7 प्रतिशत वृद्धि हुई।"
चेतावनी
सर्वे में आर्थिक हालात को लेकर दी गई चेतावनी
सर्वे में कहा गया है, "अत्यधिक या खराब तरीके से प्रबंधित कर्ज गंभीर कमजोरियां पैदा कर सकता है, जैसे कि ब्याज का बोझ बढ़ना और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा को कमजोर कर सकता है।"
बता दें कि पाकिस्तानी सरकार 10 जून को सालाना आम बजट पेश करने जा रही है। उससे पहले ये आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया गया है।
IMF
IMF, विश्व बैंक से और कर्ज ने रहा है पाकिस्तान
पाकिस्तान को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 8,500 करोड़ रुपये का लोन मिला है।
इस साल जनवरी में विश्व बैंक ने पाकिस्तान को अगले 10 सालों में 20 अरब डॉलर का कर्ज देने का समझौता किया है।
एशियाई विकास बैंक (ADB) ने पाकिस्तान को करीब 6,800 करोड़ रुपये के बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी है।
भारत वित्तीय संस्थाओं द्वारा पाकिस्तान को मिल रहे कर्ज का विरोध कर रहा है।
बयान
शहबाज ने कहा था- दोस्त नहीं चाहते कि हम कटोरा लेकर आएं
हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि अब हमारे दोस्त भी नहीं चाहते कि हम भीख का कटोरा लेकर आए।
उन्होंने कहा था, "चीन, सऊदी अरब, तुर्की, कतर सब पाकिस्तान के भरोसेमंद दोस्त हैं। वे भी हमसे उम्मीद करते हैं कि हम उनके साथ व्यापार, वित्त, इनोवेशन, विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और निवेश में शामिल हों। अब और नहीं चाहते कि हम उनके यहां भीख का कटोरा लेकर जाएं।"