क्या है डिजिटल कृषि मिशन, जिस पर खर्च किए जाएंगे 2,800 करोड़ रुपये?
केंद्र सरकार ने सोमवार को किसानों के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कृषि क्षेत्र से जुड़ी 14,000 करोड़ रुपये लागत की 7 योजनाओं को मंजूरी दी। इसमें सबसे अहम कृषि क्षेत्र में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) तैयार करने के लिए 'डिजीटल कृषि मिशन' है। सरकार इस पर कुल 2,817 करोड़ रुपये खर्च करेगी। आइए जानते हैं यह मिशन क्या है और इससे किसानों का क्या फायदा होगा।
डिजिटल कृषि मिशन क्या है?
डिजिटल कृषि मिशन अन्य क्षेत्रों में सरकार की ई-गवर्नेंस पहलों के समान है। इसके परिणामस्वरूप आधार कार्ड, डिजीलॉकर दस्तावेज फोल्डर, ईसाइन इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर सेवा, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), तत्काल धन ट्रांसफर प्रोटोकॉल और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड जैसे डिजिटल समाधान सामने आए हैं। इस मिशन के तहत DPI के तीन प्रमुख घटक (एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली और मिट्टी प्रोफाइल मानचित्र) होंगे। प्रत्येक घटक किसानों को विभिन्न सेवाओं तक पहुंचने और उनका लाभ उठाने में सक्षम बनाने के समाधान उपलब्ध कराएगा।
क्या है डिजिटल कृषि मिशन का उद्देश्य?
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल से किसानों की आय बढ़ाना और कृषि उत्पादकता में सुधार करना है। इस मिशन से किसानों को मौसम की भविष्यवाणी, बीज की गुणवत्ता, कीटनाशकों का उपयोग और बाजार की जानकारी जैसी कृषि से जुड़ी विभिन्न सेवाएं ऑनलाइन मिल सकेगी। इसी तरह मिशन में डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (DGCES) भी बनाया जाएगा, जो कृषि उत्पादन का सटीक अनुमान प्रदान कर सकेगा।
किसानों को ये सुविधाएं भी मिल सकेंगी
इस मिशन में किसानों को डिजिटल उपकरणों और प्लेटफॉर्म से उन्नत कृषि तकनीकों, जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाकर कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए भी मदद मिल सकेगी। इससे किसानों की वर्तमान कृषि लागत में भी कमी आएगी।
मिशन में कैसे होगी बजट की हिस्सेदारी?
मिशन के लिए 2,817 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया है, जिसमें से 1,940 करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी और शेष राशि राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों देंगे। यह मिशन प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन की कार्ययोजना का हिस्सा है। इसे साल 2025-26 तक पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। पहले इस मिशन को वित्तीय वर्ष 2021-22 में शुरू करने की योजना थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसमें देरी हो गई।
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में की थी अहम घोषणा
केंद्र सरकार ने साल 2023-24 और 2024-25 के केंद्रीय बजट में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण की घोषणा की थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ साझेदारी में 3 वर्षों में किसानों और उनकी भूमि को कवर करने के लिए कृषि में DPI के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करेगी। DPI के इस्तेमाल से 400 जिलों में खरीफ के लिए डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया जाएगा।
कृषि मंत्रालय ने शुरू की MOU की प्रक्रिया
कृषि मंत्रालय ने DPI के निर्माण और कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों के साथ समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक 19 राज्य इस पर सहमत हो चुके हैं। जल्द ही इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।
एग्रीस्टैक में होगा कृषि क्षेत्र रजिस्ट्रियों का डाटाबेस
इस मिशन के तहत बनाए जाने वाले 3 DPI घटकों में सबसे अहम एग्रीस्टैक होगा, जिसमें कृषि क्षेत्र की रजिस्ट्रियों का डाटाबेस होगा। इनमें किसानों की रजिस्ट्री, भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र और फसल बोई गई रजिस्ट्री शामिल हैं। इनका निर्माण और रखरखाव राज्य सरकारें करेंगी। किसानों की रजिस्ट्री में किसानों को आधार के समान एक डिजिटल पहचान दी जाएगी, जिसे भूमि के रिकॉर्ड, पशुधन के स्वामित्व, बोई गई फसलों, जनसांख्यिकीय विवरण, पारिवारिक विवरण, योजनाओं और प्राप्त लाभों की जानकारी शामिल होंगी।
सरकार बनाएगी 11 करोड़ किसानों की डिजिटल पहचान
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने 11 करोड़ किसानों की डिजिटल पहचान बनाने का लक्ष्य रखा है। इनमें 6 करोड़ की चालू वित्तीय वर्ष में, 3 करोड़ की 2025-26 और 2 करोड़ किसानों की 2026-27 में बनाई जाएगी। इसके लिए 5,000 करोड़ का बजट निर्धारित है।
अन्य रजिस्ट्री में क्या होगा?
फसल बोई गई रजिस्ट्री में किसानों को बोई गई फसलों का विवरण मिलेगा। प्रत्येक फसल सीजन में डिजिटल फसल सर्वेक्षण के जरिए जानकारी दर्ज की जाएगी। यह रजिस्ट्री विकसित करने के लिए 2023-24 में 11 राज्यों में एक पायलट डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया गया था। सरकार का लक्ष्य आगामी 2 सालों में पूरे देश में डिजिटल फसल सर्वेक्षण शुरू करना है। इसी तरह भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र में भूमि अभिलेखों पर भौगोलिक जानकारी को उनके भौतिक स्थानों से जोड़ा जाएगा।
कृषि निर्णय सहायता प्रणाली में क्या होगा?
मिशन के दूसरे घटक कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (ADSS) में फसलों, मिट्टी, मौसम और जल संसाधनों आदि पर सुदूर संवेदन-आधारित जानकारी को एकीकृत करने के लिए एक व्यापक भू-स्थानिक प्रणाली तैयार की जाएगी। यह जानकारी फसल बोने के तरीके की पहचान करने, सूखे या बाढ़ की निगरानी करने तथा किसानों द्वारा फसल बीमा दावों के निपटान के लिए प्रौद्योगिकी/मॉडल आधारित उपज आकलन के लिए फसल मानचित्र तैयार करने में सहायक होगी।
मृदा प्रोफाइल मानचित्र में क्या होगा?
मिशन के तीसरे घटक के रूप में करीब 14.2 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि के विस्तृत मृदा प्रोफाइल का मानचित्र (1:10,000 पैमाने पर) तैयार किए जाने की परिकल्पना है। सरकारी सूत्र के अनुसार, 2.9 करोड़ हेक्टेयर भूमि की विस्तृत मृदा प्रोफाइल सूची पहले ही पूरी की जा चुकी है। इसी तरह DGCES मौजूदा फसल उपज अनुमान प्रणाली को बेहतर बनाने तथा आंकड़ों को अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इससे किसानों को बड़ी मदद मिल सकेगी।