स्वदेशी जागरण मंच ने किया पटाखों पर प्रतिबंध का विरोध, कहा- आहत होती हैं भावनाएं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने राज्यों द्वारा पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का विरोध किया है। इसे 'अवैज्ञानिक' बताते हुए संगठन ने कहा कि 'भावनाओं को आहत' करने के लिए ऐसा किया गया है। पहले चीनी पटाखों के कारण प्रदूषण होता था, जिन पर अब पाबंदी लग चुकी है और भारतीय पटाखों से ज्यादा प्रदूषण नहीं होता। SJM ने राज्यों से पटाखों पर पूर्ण पाबंदी न लगाने की अपील की है।
कम प्रदूषण करते हैं भारतीय ग्रीन पटाखे- SJM
संगठन के संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच दिल्ली सरकार द्वारा दिवाली के मौके पर पटाखों पर लगाए प्रतिबंध का विरोध करता है। यह अनुचित है और इसका मकसद भावनाएं आहत करना है। इससे पटाखों के उत्पादन और वितरण में लगे लाखों मजदूरों के रोजगार को झटका लगा है। उन्होंने कहा कि विदेशों से आयात पटाखों में हानिकारक तत्व होते थे, जिनसे प्रदूषण होता था। भारतीय ग्रीन पटाखों में ये प्रदूषक तत्व नहीं होते।
लोगों को गुमराह कर रहीं सरकारें- महाजन
अश्विनी ने कहा कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सरकार पराली जलाने पर रोक लगाने में असफल रही हैं, लेकिन वो पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश देकर लोगों को भ्रमित कर रही हैं। यह साबित हो चुका है कि राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में प्रदूषण के लिए पराली जलने से निकलने वाला धुआं जिम्मेदार है, लेकिन दिवाली के मौके पर ये पटाखों पर पूर्ण पाबंदी लगाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
महाजन बोले- पटाखा उद्योग से जुड़े हैं 10 लाख लोग
स्वदेशी जागरण मंच ने सभी राज्य सरकारों से पराली जलाने की समस्या का स्थायी समाधान खोजने की अपील की है। साथ ही संगठन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने परंपरा और लाखों लोगों के रोजगार को देखते हुए दिवाली के मौके पर पटाखे चलाने की इजाजत दी है। बयान में कहा गया है कि तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और दूसरे इलाकों में 10 लाख से अधिक लोग पटाखा उद्योग से जुड़े हुए हैं और ये सालभर दिवाली का इंतजार करते हैं।
ग्रीन पटाखों पर पाबंदी उचित नहीं- महाजन
महाजन ने कहा कि बिना किसी वैज्ञानिक आधार के कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखों पर पाबंदी लगाना उचित नहीं है। दिल्ली सरकार का पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश न सिर्फ एकतरफा है बल्कि जनता-विरोधी भी है। बता दें कि दिवाली से पहले दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों की सरकारों ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनका कहना है कि वायु और ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया
दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के खिलाफ भाजपा सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। इसके लिए शहर के वायु प्रदूषण का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "लोगों को साफ हवा में सांस लेने दीजिए। अपना पैसा मिठाइयों पर खर्च कीजिए।" बता दें कि दिल्ली में पिछले तीन साल से दिवाली के मौके पर पटाखों पर पाबंदी लगाई जा रही है।
प्रतिबंध के बावजूद जमकर पटाखे चलाते हैं लोग
प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में लोग जमकर पटाखे चलाते हैं और इसके कारण शहर की हवा इतनी जहरीली हो जाती है कि ये सांस लेने लायक नहीं रहती। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने से ये समस्या और बढ़ जाती है और ये दोनों चीजें सर्द मौसम के साथ मिलकर दिल्ली की हवा को जहरीली बना देती हैं। लगभग हर साल यही स्थिति होती है और शहर के ऊपर कोहरे जैसी प्रदूषण की एक धुंध छा जाती है।