
उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड में कांवड़ मार्ग भोजनायलों पर जारी रहेगी सख्ती, सुप्रीम कोर्ट का सख्ती से इंकार
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राहत मिली है। कोर्ट ने दोनों प्रदेशों में कांवड़ यात्रा मार्ग पर बने भोजनायलों के लिए OR कोड आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने दोनों प्रदेशों की सरकार को 15 जुलाई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, जिस पर मंगलवार को अपना फैसला सुनाया है।
सुनवाई
भोजनायलों को प्रदर्शित करना होगा लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र
न्यायमूर्ति एमएम सुन्दरेश और न्यायमूर्ति कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि भोजनालयों को कानून के अनुसार अपने लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रदर्शित करने होंगे। कोर्ट ने कहा, "हमें बताया गया कि आज यात्रा का अंतिम दिन है। ऐसे में हम केवल यह आदेश पारित कर सकते हैं कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के आदेश का पालन करेंगे।"
विवाद
क्या है मामला?
भाजपा शासित दोनों प्रदेशों ने सावन महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान उसके मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों पर QR कोड लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे मालिकों के नाम, पहचान, पता और मेनू का पता चलेगा। आवेदनकर्ताओं ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि सरकार के निर्देशों को कानून का कोई समर्थन नहीं है और इसका उद्देश्य धार्मिक ध्रुवीकरण और भेदभाव पैदा करना है। आवेदनकर्ताओं ने इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है।
फैसला
पिछले साल भी ऐसा मामला आया था
पिछले साल सावन के दौरान भी ऐसा मामला सामने आया था, जिसमें उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकार ने कांवड़ मार्ग पर आने वाली दुकानों के मालिकों को अपना 'नेमप्लेट' लगाने के आदेश दिया था। आदेश के खिलाफ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स सुप्रीम कोर्ट चली गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। तब कोर्ट ने कहा था कि भोजनालयों को सिर्फ बताना होगा कि वे किस प्रकार का भोजन परोस रहे हैं।