सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक विरोध उठाए सवाल, कहा- अगर कोई आम नागरिक ऐसा करे तो?
सुप्रीम कोर्ट ने राजनेताओं के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शनों की वैधता पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, राज्य के मंत्रियों रामलिंगा रेड्डी और एमबी पाटिल और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ 2022 के विरोध प्रदर्शन से से जुड़े एक आपराधिक मामले की कार्यवाही पर रोक लगा दी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने की।
कोर्ट ने पूछा- कैसे राजनीतिक विरोध आम विरोध से भिन्न है?
कर्नाटक के मुख्यमंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया दी कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत विरोध करने के अधिकार का उल्लंघन है। हालांकि, जब वकील ने कहा कि राजनीतिक विरोध को अलग तरीके से देखा जाना चाहिए, तो कोर्ट ने पूछा कि राजनीतिक विरोध प्रदर्शन आम नागरिकों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों से कैसे भिन्न हैं। इसके साथ कोर्ट ने पूछा कि क्या विरोध प्रदर्शन के लिए उन्होंने अनुमति ली थी?
कोर्ट ने पूछा- मामला क्यों होना चाहिए रद्द?
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, "आपका तर्क यह है कि अगर कोई राजनेता विरोध करे तो इसकी अनुमति दी जाए, लेकिन अगर कोई आम नागरिक ऐसा करे, तो इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए? यह कैसे हो सकता है कि केवल मामला इसलिए रद्द किया जाए क्योंकि यह विरोध एक राजनेता द्वारा किया गया था?" कोर्ट ने पूछा कि आप कैसे हजारों की संख्या में इकट्ठा होकर यह सोचें कि आपको कुछ नहीं होगा क्योंकि आप विरोध प्रदर्शन कर रहे?
सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई अब 6 हफ्ते बाद
कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा 6 मार्च को ट्रायल कोर्ट में पेश होने के निर्देश पर भी रोक लगा दी है। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी। कोर्ट ने मामले में सिद्धरमैया और अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के अनुरोध वाली उनकी याचिका पर कर्नाटक राज्य और मामले में शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर प्रदर्शन के कानूनी पहलुओं की सावधानीपूर्वक जांच के लिए कहा है।
क्या है मामला?
दरअसल, कर्नाटक की भाजपा सरकार के दौरान 2022 में त्कालीन मंत्री केएस ईश्वरप्पा पर लोकसेवा अनुबंध घोटाले का आरोप लगे थे। इससे जुड़े ठेकेदार संतोष पाटील ने ईश्वरप्पा पर 40 प्रतिशत कमीशन का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में उसने आत्महत्या कर ली। इसके बाद ईश्वरप्पा के इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के लिए सिद्धारमैया और अन्य को हिरासत में लिया गया था। इसी मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने कार्यवाही के आदेश दिए थे।
हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
हाई कोर्ट ने 6 फरवरी को ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करते हुए उन्हें अलग-अलग तारीखों पर ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। इस आदेश के तहत सिद्धारमैया को 6 मार्च को ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होने था। हाई कोर्ट ने सभी 4 नेताओं पर 10,000-10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके खिलाफ 14 फरवरी को सिद्धारमैया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।