'सुल्ली डील्स' और 'बुल्ली बाई' ऐप्स बनाने वालों को मानवीय आधार पर जमानत मिली
दिल्ली की एक कोर्ट ने सोमवार को 'बुल्ली बाई' ऐप के क्रिएटर नीरज बिश्नोई और 'सुल्ली डील्स' ऐप के क्रिएटर ओंकारेश्वर ठाकुर को जमानत दे दी। दोनों को मानवीय आधार पर जमानत दी गई है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने पहला अपराध किया है और जेल में रहना उनके लिए अच्छा नहीं है। कोर्ट ने आरोपियों पर कई शर्तें भी लगाई हैं ताकि वे सबूतों से किसी भी तरह की छेड़छाड़ न कर सकें।
आरोपियों पर लगाई गईं ये शर्तें
कोर्ट की शर्तों के अनुसार, आरोपी पीड़ितों या गवाहों से संपर्क करने और उन्हें प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। उनसे जांच अधिकारी को अपना पता देने और फोन को बंद रखने को भी कहा गया है। इसके अलावा उनके देश छोड़ने पर भी रोक लगा दी गई है और उन्हें हर तारीख को कोर्ट के सामने पेश होना होगा। जमानत पर बाहर रहने के दौरान उन्हें फिर से ऐसा ही अपराध न करने की हिदायत भी दी गई है।
क्या था सुल्ली डील्स ऐप?
जुलाई, 2021 में सुल्ली डील्स नाम से एक ऐप सामने आया था जिस पर मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी की जा रही थी। इनमें कई चर्चित मुस्लिम महिलाएं भी शामिल थीं। सोशल मीडिया पर मामले प्रकाश में आने के बाद इस ऐप को बंद कर दिया गया था और दिल्ली पुलिस ने मामले में FIR भी दर्ज की थी। मामले में 9 जनवरी को ओंकारेश्वर ठाकुर को गिरफ्तार किया गया था और उसी ने ये ऐप बनाया था।
क्या है बुल्ली बाई ऐप का पूरा मामला?
सुल्ली डील्स के बाद दिसंबर, 2021 में गिटहब पर बुल्ली बाई नाम से एक ऐप बनाया गया था। इस ऐप पर सोशल मीडिया से मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें चुराकर उनकी 'नीलामी' की जा रही थी। यहां असल में कोई खरीद-फरोख्त नहीं होती थी, लेकिन इसका मकसद मुस्लिम महिलाओं को नीचा दिखाना और उनका मानसिक उत्पीड़न करना था। मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिनमें नीरज बिश्नोई भी शामिल है। ऐप उसने ही बताया था।
ऐप पर अपलोड की गई थीं लगभग 100 मुस्लिम महिलाओं की फोटो
बुल्ली बाई ऐप पर करीब 100 नामचीन मुस्लिम महिला की फोटो अपलोड की गई थी, जिनमें पत्रकार, अभिनेत्री और अन्य महिला कलाकार भी शामिल थीं। इसके अलावा एक लापता भारतीय छात्र की 65 वर्षीय मां और पाकिस्तानी नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की भी इस पर नीलामी की जा रही थी। ऐप पर इन महिलाओं की फोटो अपलोड कर उनकी नीलामी के लिए 'डील ऑफ द डे' के नाम से बोली भी लगाई जा रही थी।