कोरोना वायरस: मुंबई में लक्षण दिखने और मौत होने के बीच मात्र 6.4 दिन का अंतर
मुंबई में कोरोना वायरस के लक्षण दिखने के बाद मरीज की मौत होने में औसतन 6.4 दिन लगते हैं। वहीं अस्पताल में भर्ती होने और मौत होने के मामले में ये आंकड़ा 2.4 दिन है। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा बनाई गई एक समिति की ऑडिट रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। समिति का कहना है कि मरीज देरी से अस्पताल पहुंच रहे हैं और इसी कारण जल्दी से उनकी मौत हो रही है।
133 मौतों के अध्ययन के बाद तैयार की गई रिपोर्ट
BMC ने मुंबई में कोरोना वायरस की उच्च मृत्यु दर और इसे रोकने के तरीके बताने के लिए डॉ अविनाश सुपे की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने मुंबई, वसई-विरार, नवी मुंबई और पालघर में 133 मौतों का अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है और लक्षण दिखने के मात्र 6.4 दिन के अंदर मरीजों की मौत होने की बात कही है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में 11 सिफारिशें भी दी हैं।
79 प्रतिशत मरीजों को पहले से थी अन्य कोई बीमारी
समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में कोरोना वायरस की वजह से मरने वाले 79 प्रतिशत मरीजों को पहले से ही कोई न कोई बीमारी थी। 74 मामलों में मरीज को उच्च रक्तचाप, डायबिटीज या दोनों थे, वहीं 14 मामलों में मरीज को फेफड़ों संबंधी बीमारी थी। इसके अलावा मरने वाले आठ लोगों को किडनी से संबंधित बीमारी थी। वहीं मरने वाले बाकी 28 लोगों को पहले से कोई बीमारी नहीं थी।
मरने वालों में ज्यादातर 60 साल से ऊपर के
मरने वाले ज्यादातर 61-70 आयु वर्ग के रहे। इस आयु वर्ग के 44 लोग मरने वालों में शामिल रहे। वहीं 37 मौतें 51-60 आयु वर्ग में हुईं। 133 मौतों में से 41.3 प्रतिशत मौतें मेडिकल कॉलेज, 17.2 प्रतिशत प्राइवेट अस्पतालों में और बाकी छोटे अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में हुईं। समिति ने पाया कि 80 मरीज अस्पताल में भर्ती किए जाने के दो दिन के अंदर मर गए, वहीं 34 तीन-पांच दिन और बाकी पांच दिन के बाद मरे।
लक्षण दिखने के कितने दिन बाद भर्ती कराए गए मरीज?
समिति ने पहली बार लक्षण दिखने और अस्पताल में भर्ती होने के बीच अंतराल का भी विश्लेषण किया और पाया कि 33 मरीजों को पहली बार लक्षण दिखने के छह दिन बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। 51 मरीजों को तीन से पांच दिन के अंदर भर्ती कराया गया, वहीं केवल 48 मरीजों को लक्षण दिखने के दो दिन के अंदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। केवल 36 प्रतिशत मामलों में मरीज ने तुरंत मेडिकल मदद ली।
लक्षणों की जल्दी पहचान करने और टेस्टिंग तेज करने की सिफारिश
स्थिति को सुधारने के लिए 11 सिफारिशें देते हुए समिति ने लक्षणों की जल्दी पहचान करने और तेज टेस्टिंग करने को कहा। समिति के एक सदस्य ने कहा, "टेस्टिंग तेज करने, मरीजों को जल्दी भर्ती करने और उनके ऑक्सीजन के स्तर की जांच करने की जरूरत है।" रिपोर्ट में मरीजों को जल्दी अस्पताल पहुंचाने के लिए झुग्गी बस्तियों में एंबुलेंस उपलब्ध कराने और कोरोना वायरस से संबंधित केंद्रों में दो इंटेंसिव केयर बेड प्रदान करने की सिफारिश की है।
मुंबई में क्या है कोरोना वायरस की स्थिति?
मुंबई में कोरोना वायरस के 4,447 मामले सामने आ चुके हैं जो पूरे महाराष्ट्र के लगभग दो-तिहाई हैं। वहीं लगभग 170 मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में 220 मामले आने से चिंता और बढ़ गई है।