बेहद खतरनाक रही कोरोना महामारी की दूसरी लहर, युवा मरीजों की मृत्यु दर रही अधिक- अध्ययन
पूरा देश अब कोरोना महामारी की दूसरी लहर से उबर रहा है। प्रतिदिन संक्रमित और मृतकों की संख्या में कमी आ रही है। इसी बीच उत्तर भारत में 10 अस्पतालों के एक नेटवर्क की ओर से महामारी की पहली और दूसरी लहर पर किए गए अध्ययन में हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं। अध्ययन के अनुसार महामारी की दूसरी लहर बेहद खतरनाक रही है और इसमें युवा मरीजों की मौत पहली लहर की तुलना में काफी अधिक रही है।
मैक्स अस्पताल ने पांच राज्यों के आधार पर किया अध्ययन
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मैक्स नेटवर्क ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में स्थित अपने अस्पतालों में भर्ती हुए करीब 20,000 कोरोना मरीजों के आधार पर यह अध्ययन किया है। इसमें पहले लहर में इन अस्पतालों में भर्ती हुई कुल 14,398 और दूसरी लहर में भर्ती हुए 5,454 मरीजों के आधार पर महामारी की दोनों लहरों के प्रभाव को इंगित किया गया है। इसमें सामने आया कि दूसरी लहर बेहद खतरनाक रही है।
पहली लहर की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक हुई मौतें
अस्पताल नेटवर्क के अध्ययन में सामने आया कि पिछले साल अप्रैल-दिसंबर के बीच महामारी से हुई मौतों की तुलना में इस साल जनवरी से मध्य जून के बीच 40 प्रतिशत तक अधिक मौतें हुई है। यह आंकड़ा महामारी की गंभीरता को बताने के काफी है।
अस्पतालों में भर्ती हुए दो तिहाई पुरुष मरीज
अध्ययन के अनुसार दोनों लहरों में अस्पतालों में भर्ती कुल मरीजों में से दो तिहाई पुरुष थे। दूसरी लहर में महिलाओं की संख्या में थोड़ा इजाफा हुआ। दोनों लहरों में भर्ती हुए मरीजों में 40 प्रतिशत संख्या 60+ उम्र वालों की थी। 60+ उम्र वर्ग में भर्ती होने की संभावना चार गुना अधिक थी। पहली लरह में 45 साल से कम आयु के 27.1 प्रतिशत मरीज भर्ती हुए थे, तो दूसरी लहर में यह आंकड़ा 28.3 प्रतिशत पर पहुंच गया।
युवाओं में काफी अधिक रही मृत्यु दर
अध्ययन में सामने आया कि दूसरी लहर में युवाओं की मृत्यु दर काफी अधिक रही है। महामारी की पहली लहर में मृत्यु दर 7.2 प्रतिशत थी, जो दूसरी लहर में बढ़कर 10.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। इस दौरान महिला और पुरुष दोनों की मृृत्यु दर में इजाफा देखने को मिला। पहली लहर में 45 साल के कम उम्र के लोगों की मृत्यु दर 1.3 प्रतिशत थी, जो दूसरी लहर में काफी तेजी से बढ़ते हुए 4.1 प्रतिशत पर पहुंच गई।
ICU में भर्ती रहे मरीजों की मृत्यु दर में हुआ बड़ा इजाफा
अध्ययन के अनुसार ICU में भर्ती हुए मरीजों की मृत्यु दर में भी दूसरी लहर में बड़ा इजाफा देखने को मिला है। पहली लहर में जहां ICU में भर्ती मरीजों की मृत्यु दर 19.8 प्रतिशत थी, वहीं दूसरी लहर में यह बढ़कर 25.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसी तरह वार्डों में भर्ती मरीजों की मृत्यु दर पहली लहर में महज 0.5 प्रतिशत थी, लेकिन दूसरी लहर में यह काफी तेजी से बढ़ते हुए 3.1 प्रतिशत पर पहुंच गई।
अन्य बीमारियों के साथ संक्रमण भी हो सकता है अधिक मौत का कारण- बुद्धिराजा
मैक्स समूह के निदेशक संदीप बुद्धिराजा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं का कहना है कि दोनों लहरों में आबादी में कोई बड़ा अंतर देखने को नहीं मिला। ऐसे में अन्य बीमारियों के साथ संक्रमित होनो या गंभीर फंगल संक्रमण के कारण भी मृत्यु दर में इजाफा हो सकता है। इसी तरह दूसरी लहर में वायरस का डेल्टा वेरिएंट ने पहली लहर की तुलना में अधिक संक्रमण फैलाया था। ऐसे में मृत्यु दर में इसका भी बड़ा योगदान माना जा सकता है।
ऑक्सीजन की मांग अधिक और उपल्धता कम होना भी रही अहम समस्या
बुद्धिराजा ने कहा कि दूसरी लहर में अस्पतालों में बेड्स और ऑक्सीजन की कमी भी मृत्यु दर में इजाफे का कारण रही है। अध्ययन में सामने आया कि पहली लहर में 63.4 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की आवश्यकता थी, लेकिन दूसरी लहर में यह आंकड़ा 74.1 प्रतिशत पर पहुंच गया। इसी तरह पहली लहर में महज 15.7 प्रतिशत मरीज पांच दिन से कम समय अस्पताल में रहे, वहीं दूसरी लहर में 21.4 प्रतिशत मरीजों के साथ ऐसा रहा है।
लंबे समय तक अस्पताल में रहने वालों में आई कमी
अध्ययन के अनुसार पहली लरह में 10.4 प्रतिशत मरीजों को 15 दिन से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहना था, लेकिन दूसरी लहर में इसमें काफी गिरावट देखने को मिली और महज सात प्रतिशत मरीज ही 15 दिन से अधिक भर्ती रहे हैं।