राजस्थान: क्या है मेवाड़ राजपरिवार का विवाद और उदयपुर सिटी पैलेस पर क्यों हुई झड़प?
मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य और भाजपा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ की 77वें महाराणा के रूप में ताजपोशी किये जाने के बाद सोमवार को उदयपुर में बवाल मच गया। दरअसल, विश्वराज सिंह ताजपोशी के बाद उदयपुर स्थित सिटी पैलेस में स्थित धूणी के दर्शन करने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। इसको लेकर वहां झड़प हो गई और दोनों पक्षों की ओर से पत्थरबाजी की गई। इसमें 3 लोग घायल हो गए। आइए पूरा मामला जानते हैं।
क्या होता है धूणी दर्शन?
विश्वराज सिंह की ताजपोशी उनके पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ की मृत्यु के बाद चित्तौड़गढ़ किले में हुई थी। परंपरा के अनुसार, नए दीवान राजगद्दी पर बैठने के बाद धूणी दर्शन करते हैं और एकलिंग जी के दर्शन कर शोक भंग करते हैं। हालांकि, उदयपुर सिटी पैलेस का पंबंधन विश्वराज के चचेरे भाई डॉ लक्ष्य राज सिंह और चाचा श्रीजी अरविंद सिंह मेवाड़ के नेतृत्व वाले ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जिन्होंने उनकी पुरानी अदावत के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया।
विश्वराज सिंह के समर्थकों की पुलिस से हुई भिड़ंत
विश्वराज सिंह को सिटी पैलेस में प्रवेश से रोके जाने से उनके समर्थक क्रोधित हो गए और उनकी वहां झड़प हो गई। इस दौरान सिटी पैलेस में मौजूद डॉ लक्ष्य राज सिंह के समर्थकों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो दोनों और पथराव शुरू हो गया। तनाव बढ़ने पर जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप किया तथा पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात कर दिया, लेकिन शांति नहीं हुई। मौके पर अभी भी तनाव बना हुआ है।
प्रशासन ने कही स्थिति नियंत्रण में होने की बात
उदयपुर के जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने कहा, "कानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। दोनों पक्षों के साथ बातचीत कर मामले को सुलझाया जा रहा है।" बता दें कि महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल ट्रस्ट ने सार्वजनिक नोटिस जारी कर महल में घुसने या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से बचने की सलाह दी थी। इस कदम ने विश्वराज सिंह को अपने राज्याभिषेक की रस्मों को पूरा करने के लिए महल में प्रवेश करने से लगभग रोक दिया।
दोनों भाइयों में काफी समय से चल रहा है विवाद
महेंद्र सिंह और उनसे अलग हुए छोटे भाई अरविंद सिंह के बीच मालिकाना हक को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है। इसी कारण अरविंद सिंह ने विश्वराज को सिटी पैलेस में प्रवेश से रोका है। इस बीच अरविंद सिंह ने कहा, "मेवाड़ राजघराना एक ट्रस्ट के जरिए चलता है, जिसका संचालन उनके पिता ने उन्हें दे रखा है। ऐसे में महाराणा की राजगद्दी पर बैठने का अधिकार मेरा और मेरे बेटे का है।"
कैसे हुई थी मेवाड़ राजघराने में विवाद की शुरुआत?
मेवाड़ में 1955 में भगवंत सिंह महाराणा बने थे। उस समय ही संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया था। भगवंत सिंह ने जब मेवाड़ में पैतृक संपत्तियों को बेचना या लीज पर देना शुरू किया तो बड़े बेटे महेंद्र सिंह नाराज हो गए और उन्होंने अपने पिता के खिलाफ केस कर संपत्तियों को हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत बांटने की मांग की। इससे भगवंत सिंह काफी नाराज हो गए और उनके महेंद्र सिंह से रिश्ते खराब होने लग गए।
भगवंत सिंह ने वसीयत में अरविंद सिंह को बनाया प्रबंधक
विवाद के बीच भगवंत सिंह ने 15 मई, 1984 को अपनी वसीयत में छोटे बेटे अरविंद सिंह को संपत्तियों का प्रबंधक बना दिया। इसके साथ ही महेंद्र सिंह को ट्रस्ट और संपत्ति से बेदखल कर दिया गया। उसी साल 3 नवंबर को भगवत सिंह का निधन हो गया। उसके बाद से ही मंदिर और महल दोनों ही अरविंद सिंह के नियंत्रण में हैं, जो उदयपुर में श्री एकलिंग जी ट्रस्ट के अध्यक्ष और प्रबंध न्यासी हैं।
चितौड़गढ़ से सांसद रहे थे महेंद्र सिंह
बता दें कि महेंद्र सिंह का इसी साल 10 नवंबर को 83 साल की उम्र में निधन हो गया था। वह 16वीं शताब्दी के राजपूत राजा महाराणा प्रताप के वंशज थे। महेंद्र सिंह 1989 में भाजपा के टिकट पर चित्तौड़गढ़ सीट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। उनके बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ वर्तमान में राजसमंद जिले की नाथद्वारा सीट से भाजपा विधायक हैं। इसी तरह उनकी बहू महिमा कुमारी राजसमंद से भाजपा सांसद चुनी गई हैं।