चेन्नई: अस्पताल से लापता हुए कोरोना संक्रमित मरीज का 40 दिन भी नहीं लगा सुराग
क्या है खबर?
चेन्नई के एक अस्पताल से करीब 40 दिन पहले लापता हुए 74 वर्षीय कोरोना संक्रमित मरीज का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि मामले में लगी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान चेन्नई नगर निगम के पास इसका कोई जवाब नहीं था कि आखिर मरीज कहां गया।
इस पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करने वाली डिवीजन बेंच ने नगर निगम को मामले में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
प्रकरण
अस्पताल पहुंचाने के दौरान लापता हो गया था मरीज
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार चेन्नई निवासी अदिकेसवन (74) के गत 10 जून को कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
इसके बाद 11 जून को चेन्नई नगर निगम के कर्मचारी उसे लेने के लिए उसके घर पहुंच गए।
कर्मचारी उसे लेकर किलपौक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के लिए रवाना हो गए। इस दौरान अस्पताल में दाखिल करते समय वह लापता हो गया था। उसके बाद से मरीज का कोई सुराग नहीं लगा है।
याचिका
मरीज के नहीं मिलने पर दाखिल की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका
अदिकेसवन के नहीं मिलने पर गत दिनों याचिकाकर्ता बी पूंगखिलाली ने डिवीजन बेंच में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर दी थीं।
इस पर जस्टिस आर किरूबाकरन और वीएम वेलुमनी ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई की।
इसमें निगम की ओर से बस इतना कहा कि उन्होंने मरीज को लाते समय सभी प्रोटोकॉल का पालन किया और वह किलपुक मेडिकल कॉलेज अस्पताल (KMCH) में प्रवेश के समय लापता हो गया।
अनभिज्ञता
एंबुलेंस चालक और निगम कर्मचारियों ने जताई अनभिज्ञता
सुनवाई के दौरान निगम की ओर से प्रस्तुत हुए महाधिवक्ता एसआर राजगोपाल ने मरीज को लाने वाले एंबुलेंस चालक और अन्य निगम कर्मचारियों को बेंच के सामने बुलाया, लेकिन वह मरीज के गायब होने के मामले अनभिज्ञता जताते रहे।
उन्होंने कहा कि वह नहीं जानते की अस्पताल पहुचंते समय मरीज अचानक कैसे लापता हो गया? कर्मचारियों की खामोशी ने पीठ के सामने निगम की लापरवाही और अनदेखी को उजागर कर दिया।
टिप्पणी
न्यायाधीशों ने बताई नगर निगम और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों में समन्वय की कमी
मामले में जस्टिस आर किरूबाकरन और वीएम वेलुमनी की पीठ ने कहा कि कर्मचारियों की खामोशी साबित करती है कि चेन्नई नगर निगम और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों में समन्वय की कमी रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि परिजनों को अस्पताल में प्रवेश की अनुमति नहीं है तो अस्पताल में भर्ती होने के बाद मरीज की जिम्मेदारी किसकी है?
ऐसे में साफ है कि मरीज को भर्ती कराने की प्रकिया में दोनों विभागों में समन्वय की कमी थी।
रिपोर्ट
न्यायाधीशों ने मांगी मामले की विस्तृत रिपोर्ट
मामले में जस्टिस आर किरूबाकरन और वीएम वेलुमनी की पीठ ने नगर निगम से मामले की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
इसमें निगम द्वारा तैयार किए जाने वाले मरीजों के अस्पताल में भर्ती कराने, डिस्चार्ज होने, अस्प्तालों में कोरोना मरीजों की जांच, उनकी रिपोर्ट और उन्हें अस्पताल लाने की प्रक्रिया का रिकॉर्ड शामिल होगा।
इस तरह उन्होंनें मरीज की तलाशी के लिए किए गए प्रयासों की भी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।