अमेरिका में प्रत्येक दो भारतवंशियों में से एक को करना पड़ता है भेदभाव का सामना- सर्वे
क्या है खबर?
अमेरिका में प्रवासियों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले भारतवंशी नागरिकों को भी आए दिन भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।
चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकतर को उनकी त्वचा के रंग के कारण यह भेदभाव झेलना पड़ता है।
पिछले साल कराए गए 'भारतीय-अमेरिकियों दृष्टिकोण सर्वेक्षण, 2020' (IAAS) इसका खुलासा हुआ है।
इतना ही नहीं सर्वे के आधार पर लोगों को धर्म के आधार पर भी भेदभाव का सामना करना पड़ा है।
सर्वेक्षण
सितंबर 2020 में आयोजित किया गया था ऑनलाइन सर्वे
द प्रिंट के अनुसार जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी और कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस से संबद्ध शोधकर्ताओं ने पिछले साल 1 सितंबर से 20 सितंबर, 2020 के बीच मार्केट रिसर्च और डेटा एनालिटिक्स फर्म 'यूगोव'(YouGov) के जरिए यह सर्वेक्षण कराया था।
ऑनलाइन आधार पर किए गए इस सर्वे में कुल 1,200 भारतीय अमेरिकियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। इस सर्वे की रिपोर्ट IAAS के नाम से जारी की गई है।
भेदभाव
प्रत्येक दो भारतवंशियों में एक को करना पड़ा भेदभाव का सामना
IAAS सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में अमेरिका में प्रत्येक दो भारतवंशियों में एक को भेदभाव का सामना करना पड़ा है।
इसके अलावा अमेरिका में 'भारतीय-अमेरिकियों' शब्द को भी व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया जाना सामने आया है। इसे एक तरह विवादित पहचान का रूप दिया गया है।
सर्वे में प्रत्येक 10 लोगों में महज चार ने ही 'भारतीय-अमेरिकियों' शब्द को उनकी पृष्ठभूमि को ज्यादा बेहतर तरीके से उजागर करने वाला माना है।
जानकारी
अमेरिका में 42 लाख से अधिक है भारतवंशियों की आबादी
बता दें कि अमेरिकी सेंसस ब्यूरो द्वारा साल 2018 में आयोजित कराए गए अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में 42 लाख से अधिक भारतवंशी निवास करते हैं और यह अमेरिका में रहने वाले प्रवासियों की दूसरी बड़ी आबादी है।
विवाह
अधिकतर भारतीय-अमेरिकियों ने भारतीय मूल के साथी से किया विवाह
IAAS सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अधिकतर भारतीय-अमेरिकियों ने अपने ही समुदाय में शादी करने को महत्व दिया है।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले 10 लोगों में से आठ का जीवनसाथी भारतीय मूल का है, जबकि अमेरिका में जन्मे भारतीय-अमेरिकियों की भारतीय मूल के अमेरिका में जन्मे साथी से शादी करने की संभावना चार गुना अधिक रही है।
इससे साफ हुआ कि भेदभाव के कारण भारतवंशी लोगों ने अपने ही समुदाय में शादी को अधिक महत्व दिया है।
धर्म
भारतीय-अमेरिकियों की जिंदगी में धर्म ने निभाई अहम भूमिका
IAAS सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भारतीय-अमेरिकियों की जिंदगी में धर्म ने अपनी एक अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, लोगों में धर्म को मानने के तरीके अलग-अलग रहे हैं।
सर्वे में शामिल कुल भारतीय-अमेरिकियों में से करीब 40 प्रतिशत लोग दिन में कम से कम एक बार प्रार्थना करते हैं और 27 प्रतिशत लोग सप्ताह में एक बार धार्मिक सेवा या कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। वह भागदौड़ भरी जिंदगी में से भी धर्म के लिए समय निकालते हैं।
जानकारी
सर्वे में शामिल 77 प्रतिशत के पास है अमेरिका की नागरिकता
बता दें सर्वे में विभिन्न नागरिकता और निवास की स्थिति वाले भारतीय-अमेरिकियों से प्रतिक्रियाएं ली गई है। इनमें से सभी के पास ग्रीन कार्ड, H-1 बी वीजा धारक और छात्र आदि शामिल थे। इतना ही नहीं 77 प्रतिशत भारतीयों के पास अमेरिका की नागरिकता थी।
सबसे ज्यादा
मुसलमानों को करना पड़ा सबसे अधिक धार्मिक भेदभाव का सामना
IAAS सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में त्वचा के रंग के आधार पर भेदभाव सबसे आम रहा है, लेकिन 30 प्रतिशत लोगों ने इसे बहुत कम बताया है।
इसके अलावा 18 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकियों ने लिंग के आधार पर भेदभाव होने की बात कही है।
इस तरह मुसलमानों को सबसे अधिक 39 प्रतिशत धर्म के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ा है। इस मामले में 18 प्रतिशत हिंदु और 15 प्रतिशत ईसाइयों को भेदभाव का सामना करना पड़ा है।
अन्य
पांच प्रतिशत लोगों को करना पड़ा है जातिगत भेदभाव का सामना
IAAS सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में पांच प्रतिशत भारतीय-अमेरिकियों को जातिगत भेदभाव का भी सामना करना पड़ा है।
इसके अलावा कुछ लोगों को भारतीय विरासत के कारण भेदभाव का दंश झेलना पड़ा है। हालांकि, इसमें सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि भारत या किसी अन्य देश में पैदा हुए भारतीयों की तुलना में अमेरिका में पैदा हुए भारतीय-अमेरिकियों को अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ा है। यह बड़ा चौंकाने वाला तथ्य रहा है।
जानकारी
राजनीतिक प्राथमिकता से जुड़ा दलीय ध्रुवीकरण अधिक मिला
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय-अमेरिकियों के बीच ध्रुवीकरण अमेरिकी समाज में अधिक रहा है। अमेरिका में व्यक्तिगत स्तर पर धार्मिक ध्रुवीकरण कम मिला है, जबकि भारत और अमेरिका दोनों में राजनीतिक प्राथमिकता से जुड़ा दलीय ध्रुवीकरण अधिक देखने को मिला है।