मुंबईः जाति को लेकर सीनियर्स करती थीं प्रताड़ित, तंग आकर महिला डॉक्टर ने की आत्महत्या
मुंबई के BYL नायर अस्पताल में एक मेडिकल छात्रा पायल तड़वी ने 22 मई को आत्महत्या कर ली थी। पायल के घरवालों का आरोप है कि उसके तीन सीनियर डॉक्टर्स जातीय टिप्पणी करती थीं। इससे तंग आकर पायल ने आत्महत्या कर ली। घरवालों का आरोप है कि उन्होंने इस बारे में कई बार अस्पताल प्रशासन से शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस मामले ने एक बार फिर विवाद शुरू कर दिया।
आदिवासी होने के कारण पायल को किया जाता था परेशान
पायल ने मई, 2018 में इस अस्पताल में चल रहे कॉलेज में एडमिशन लिया था और वो यहां बतौर रेजिडेंट डॉक्टर तैनात थी। पायल का एडमिशन गायनोकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स विभाग में आरक्षित कोटे से हुआ था, इसलिए उसकी तीन सीनियर डॉक्टर्स लगातार उन्हें परेशान करती थी। इनकी पहचान हेमा आहूजा, भक्ति मेहर और अंकिता खंडेलवाल के रूपमें हुई है। तीनों फिलहाल फरार चल रही हैं। लगातार मिल रहे तानों से तंग आकर पायल ने आत्महत्या कर ली।
पुलिस ने दर्ज की FIR
अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वहीं पुलिस ने IPC की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), SC/ST एक्ट, एंटी रैगिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर ने आरोपियों की सदस्यता निरस्त कर दी है।
पायल की मां का आरोप- अस्पताल प्रशासन ने बरती लापरवाही
मीडिया के रिपोर्ट्स के मुताबिक, पायल की मां ने बताया कि उन्होंने इस मामले में लेकर अस्पताल प्रशासन से कई बार शिकायत की थी, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने लिखित आश्वसान देने से मना कर दिया। उन्होंने बताया, "जब भी पायल मुझसे फोन पर बात करती, वो कहती थी कि ये तीनों उसे परेशान करती हैं। आदिवासी होने के कारण उन पर जातीय टिप्पणी की जाती थी।"
अस्पताल प्रशासन ने किया आरोपों का खंडन
BYL नायर अस्पताल के डीन रमेश भारमल ने पायल की मां के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि पायल की मां का यह आरोप कि प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी गई थी, सच नहीं है। प्रशासन को इस मामले में कोई शिकायत नहीं मिली है। डीन ने बताया कि अस्पताल ने एंटी-रैगिंग कमेटी का गठन किया है और आरोपियों को समन भेजा गया है। कमेटी को जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।