कर्नाटक में एक कोरोना संक्रमित ने 12 अन्य तक पहुंचाया संक्रमण, सीरो सर्वे में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
कर्नाटक में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
राज्य में इस साल जनवरी में कोरोना महामारी की दूसरी लहर से पहले एक कोरोना संक्रमित 12 अन्य लोगों तक संक्रमण पहुंचा रहा था। राज्य सरकार की ओर से कराए गए दूसरे राज्य स्तरीय सीरोलॉजिकल सर्वे में यह बात सामने आई है।
हालांकि, सर्वे की रिपोर्ट आने में देरी हो गई, लेकिन इसके आधार पर तीसरी लहर के खतरे का अनुमान लगाया जा सकता है।
संक्रमण
इन जिलों में तेजी से फैल रहा था संक्रमण
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, राज्य सरकार की ओर से जनवरी में कराए गए दूसरे सीरो सर्वे में सामने आया था कि उस समय बेलगावी, चामराजनगर, मांड्या, कोडागु, बागलकोट, विजयपुरा, रामनगर, मैसूर और चित्रदुर्ग जिलों में सबसे अधिक तेजी से संक्रमण का प्रसार हो रहा था।
इनमें से मैसूर में संक्रमण की दर सबसे अधिक थी। उसके बाद कोडागु, चामराजनगर और कोलार में संक्रमण का प्रसार हो रहा था। अथक प्रयासों के बाद भी संक्रमण नहीं रुक पा रहा था।
खतरा
संक्रमण की चपेट में आए थे सबसे अधिक युवा
सीरो सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, उस दौरान 50 से 59 साल के लोग संक्रमण से सबसे अधिक सुरक्षित थे।
इसके उलट 18 से 29 साल के युवा सबसे अधिक संख्या में संक्रमण की चपेट में आए थे। महामारी की दूसरी लहर के आने से पहले राज्य में प्रत्येक छह में से एक व्यक्ति कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुका था।
उस दौरान राज्य की कुल 15.6 प्रतिशत आबादी किसी ना किसी रूप में संक्रमित हो चुकी थी।
जानकारी
हर्ड इम्यूनिटी से बहुत दूर था कर्नाटक
सीरो सर्वे के अनुसार, राज्य में हर्ड इम्यूनिटी की शुरुआत तो हुई थी, लेकिन अधिकतर लोग इससे दूर थे। यही कारण रहा है कि लोगों के आसप में संपर्क में आने पर वायरस का संक्रमण तेजी से लोगों में फैलता गया और स्थिति बिगड़ गई।
एंटीबॉडी
तीन महीने के बाद खत्म हुई एंटीबॉडी
सीरो सर्वे में सामने आया कि संक्रमण की चपेट में आने के बाद ठीक हुए लोगों में एंटीबॉडी महज तीन महीने बाद ही खत्म हो गई।
सर्वे में में उन लोगों को शामिल किया गया था, जो पहले सर्वे के दौरान कोरोना की चपेट में आ चुके थे।
जांच में सामने आया कि संक्रमण के महज तीन महीने बाद ही उनमें कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी खत्म हो गई। ऐसे में लोग तीन महीने बाद दोबारा संक्रमित हो सकते हैं।
वेरिएंट
अल्फा और डेल्टा वेरिएंट के कारण बढ़े थे मामले
राज्य सलाहकार समिति के सदस्य डॉ गिरिधर आर बाबू ने कहा कि कर्नाटक में अप्रैल में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के पीछे कोरोना वायरस का डेल्टा और अल्फा वेरिएंट प्रमुख कारण रहा था।
उस दौरान लोग बिना कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किए ही आपस में मिल रहे थे। ऐसे में राज्य में संक्रमण के प्रसाद की दर तेज हो गई थी।
उन्होंने कहा कि तीसरी लहर से बचाव के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन जरूरी है।
राष्ट्रीय सर्वे
चौथे राष्ट्रीय सीरो सर्वे में कर्नाटक की 70 प्रतिशत आबादी मिली संक्रमित
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारतीय चिकित्सा एवं अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से कराए गए चौथे राष्ट्रीय सीरो सर्वे में कर्नाटक की 69.8 प्रतिशत आबादी में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिली थी।
ऐसे में अब राज्य के चिकित्सा विशेषज्ञ राज्य के दूसरे सीरो सर्वे और राष्ट्रीय सर्वे के आंकड़ों का अध्ययन करते हुए कर्नाटक में तीसरी लहर में तेजी से संक्रमण के कारणों की पहचान कर उनका समाधान करने में जुटे हैं।
संक्रमण
कर्नाटक में यह है कोरोना संक्रमण की स्थिति
बता दें कर्नाटक में पिछले एक महीने से प्रतिदिन औसतन 1,500 नए मामले सामने आ रहे हैं। राज्य में गुरुवार को भी 1,857 नए मामले सामने आए और 30 लोगों की मौत हुई है।
इसी के साथ राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या 29,24,732 पर पहुंच गई है। इनमें से अब तक 36,911 की मौत हो चुकी है। वर्तमान में 22,754 सक्रिय मामले हैं।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने प्रति माह वैक्सीन की एक करोड़ खुराक लगाने का वादा किया है।