जंतर मंतर पर विवादित नारे: अदालत ने तीन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की
क्या है खबर?
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को जंतर मंतर पर समुदाय विशेष के विरोध में नारे लगाने के तीन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने कहा कि वीडियो में नजर आ रहा है कि घटनास्थल पर अलोकतांत्रिक टिप्पणियां की गई थीं। जिन आरोपियों की जमानत याचिका खारिज हुई है, उनके नाम प्रीत सिंह, दीपक सिंह हिंदू और विनोद शर्मा हैं।
इससे एक दिन पहले अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय को जमानत दी थी।
पृष्ठभूमि
क्या है मामला?
रविवार को जंतर-मंतर पर पूर्व भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय के नेतृत्व में हुई एक मार्च निकाली गई थी जिसमें कुछ लोगों ने समुदाय विशेष के खिलाफ नारे लगाए थे।
अंग्रेजों के जमाने के कानूनों के खिलाफ और यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में निकाली गई इस रैली में 'हिंदुस्तान में रहना होगा, जय श्रीराम कहना होगा' समेत कई आपत्तिजनक नारे लगाए गए थे।
आरोपियों ने बिना पुलिस की अनुमति के ये मार्च निकाली थी।
फैसला
अदालत ने क्या टिप्पणी की?
अदालत ने कहा कि भले ही FIR में धारा 153 (दो समुदायों के बीच द्वेष भड़काना) का जिक्र नहीं हुआ है, लेकिन वीडियो फुटेज दीपक सिंह और प्रीत सिंह का समर्थन नहीं करती।
अदालत ने कहा कि वीडियो में दिख रहा है कि याचिकाकर्ता अलोकतांत्रिक और उस देश के नागरिक की हैसियत से गैरजरूरी बयान दे रहा है, जहां धर्म निरपेक्षता का सिद्धांत संविधान में है। हर किसी को अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन इसके साथ जिम्मेदारी भी आती है।
जानकारी
"अभिव्यक्ति की आजादी के साथ-साथ जिम्मेदारी भी"
अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखन में मदद करती है और यह एक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का इस्तेमाल करते समय धार्मिक सौहार्द बनाए रखे।
जानकारी
सुनवाई के दौरान क्या दलीलें दी गईं?
प्रीत सिंह के वकीलों ने दलील दी कि इस घटना के समय वो मौके पर मौजूद नहीं थे और न ही FIR में उनका नाम है। वहीं दीपक के वकील ने कहा कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया जा रहा है।
अभियोजन पक्ष की तरफ से कहा गया कि वीडियो में आरोपी के मौके पर होने की पुष्टि होती है।
अदालत ने कहा कि वीडियो की जांच बाद में की जा सकती है। फिलहाल वह जांच में दखल नहीं देगी।
जमानत
अश्विनी उपाध्यय को मिल चुकी है जमानत
इस मामले में गिरफ्तार अश्विनी उपाध्याय को 50,000 रुपये के मुचलके पर जमानत मिल चुकी है।
11 अगस्त को उपाध्याय को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि मौजूद सबूतों और वीडियो से यह पता नहीं चलता कि आरोपी ने लोगों को किसी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के लिए उकसाया था या उनके कहने पर आपत्तिजनक नारेबाजी हुई थी।
अदालत ने कहा कि सिर्फ आशंका के आधार पर किसी के निजी आजादी का हनन नहीं किया सकता।
जानकारी
मामले को संसद में उठा चुके हैं ओवैसी
बता दें कि हैदराबाद के AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी सोमवार को इस मामले को लोकसभा में उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के खिलाफ नरसंहार के नारे लगाए गए और अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ये नारे जंतर-मंतर पर लगाए गए जो प्रधानमंत्री आवास से मात्र 20 मिनट दूर है। उन्होंने कहा कि आरोपियों को पता है कि मोदी सरकार उसके साथ खड़ी होगी।