हरियाणा में बढ़ा राजद्रोह के केस पर किसानों का विरोध, पुलिस के लगाए बेरिकेड्स गिराए
क्या है खबर?
हरियाणा के सिरसा में डिप्टी स्पीकर की कार पर हमला करने के आरोप में 100 किसानों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज करने और पांच लोगों को गिरफ्तार किए जाने के विरोध में चल रहे किसानों के प्रदर्शन ने शनिवार को उग्र रूप ले लिया।
प्रदर्शनकारी किसानों ने अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बावजूद मौके पर पुलिस द्वारा लगाए गए बेरिकेडिंग को गिरा दिया।
इससे मौके पर तनाव की स्थिति पैदा हो गई और भारी पुलिस बल तैनात किया गया।
प्रकरण
किसानों ने कथित रूप से 11 जुलाई को किया था हमला
बता दें कि गत 11 जुलाई को सिरसा में सैकड़ों किसान नए कृषि कानूनों और राज्य की भाजपा-JJP सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
उसी दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा की आधिकारिक कार को घेर लिया और पथराव शुरू कर दिया।
हालांकि, पुलिसकर्मियों ने डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा को कार से बाहर निकाल लिया, लेकिन कार के शीशे टूट गए। पुलिस ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है।
कार्रवाई
पुलिस ने 100 लोगों के खिलाफ दर्ज किया राजदा्रेह का मामला
मामले में सिरसा पुलिस ने 100 किसानों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A यानी राजद्रोह सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कर लिया। का मामला दर्ज किया है।
इसमें किसान आंदोलन के दो नेता हरचरण सिंह और प्रहलाद सिंह को भी आरोपी बनाया गया है।
इसके बाद पुलिस ने 15 जुलाई को घटना का वीडियो देखने के बाद पहचान करते हुए पांच किसानों को भी गिरफ्तार कर लिया था। उसके बाद से किसान गुस्से में हैं।
ऐलान
किसानों ने किया था पुुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव करने का ऐलान
NDTV के अनुसार, पांच किसानों की गिरफ्तारी के विरोध में किसानों ने सिरसा में पुलिस अधीक्षक (SP) अर्पित जैन के कार्यालय के घेराव का ऐलान किया था।
इसको लेकर मौके पर अर्धसैनिक बलों की तैनात के साथ पुलिस की 25 कंपनियों को भी तैनात किया था।
दोपहर में जब किसान SP कार्यालय की ओर बढ़े तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके विरोध में किसानों की पुलिस से हल्की झड़प हुई और उन्होंने मौके पर लगी बेरिकेडिंग को गिरा दिया।
वार्ता
किसानों ने की पुलिस अधिकारियों से वार्ता
पुलिस से झड़प के बाद उपखंड अधिकारी और DSP ने स्टेडियम पहुंचकर किसानों को पुलिस महानिरीक्षक (IGP) से वार्ता का न्यौता दिया।
इसके बाद को किसान नेता लखविंद्र सिंह औलख, मैक्स साहुवाला, हैप्पी रानियां, गुरप्रेम देसूजोधा, बलवंत सिंह सहित 20 सदस्यीय दल ने सचिवालय पहुंचकर IGP से वार्ता की।
इसमें किसानों ने राजद्रोह का मामला दर्ज करने का कारण पूछ तो IGP निरुत्तर हो गए। ऐसे में यह वार्ता विफल हो गई। मौके पर तनाव बना हुआ है।
बयान
आंदोलन को सिरसा में शिफ्ट करना चाहती है हरियाणा सरकार- टिकैत
किसानों की ओर से सिरसा के शहीद भगत स्टेडियम में किए महापड़ाव के आह्वान के तहत दोपहर में किसान नेता राकेश टिकैत सहित अन्य नेता भी सिरसा पहुंच गए।
इस दौरान टिकैत ने कहा कि हरियाणा सरकार किसान आंदोलन को दिल्ली से यहां पर शिफ्ट करना चाहती है। ऐसे में उन्होंने यह मुद्दा उठाया है।
उन्होंने कहा कि जमीनें बचानी है तो आंदोलन करना पड़ेगा। आंदोलन शांति से चलेगा और कब तक चलेगा यह भी पता नहीं।
जानकारी
गिरफ्तार किसानों की रिहाई तक सिरसा में ही डटे रहने की चेतावनी
इस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि जब तक उनके साथी किसानों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक वो यहीं डटे रहेंगे। किसानों को गिरफ्तार करना सरकार की एक सोची समझी साजिश है। इसका उद्देश्य किसानों के आंदोलन को कमजोर करना है।
सवाल
सुप्रीम कोर्ट भी उठा चुका है राजद्रोह के कानून पर सवाल
गत 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी राजद्रोह के कानून को औपनिवेशक बताते हुए इसकी जरूरत पर सवाल उठाए थे।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने एक याचिका पर सुनवाई में कहा, "राजद्रोह का कानून एक औपनिवेशक कानून है और अंग्रेजों ने इसका इस्तेमाल हमारी आजादी को दबाने के लिए किया था। इसका महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था। क्या देश को आजादी के 75 साल बाद भी इस कानून की जरूरत है?"
हमला
चंडीगढ़ में किसानों ने किया भाजपा नेता और मेयर की कार पर हमला
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, चंडीगढ़ में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने शनिवार को सेक्टर-48 में भाजपा नेता संजय टंडन और चंडीगढ़ के मेयर रविकांत शर्मा के वाहनों पर पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में पर हमला करते हुए तोड़फोड़ कर दी। पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद स्थिति पर काबू पाया।
यह पहला मौका है जब किसान आंदोलन के दौरान भाजपा की चंडीगढ़ इकाई के नेताओं पर हमला हुआ है। टंडन वर्तमान में हिमाचल इकाई के सह-प्रभारी हैं।