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पुणे: अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में मिला कोरोना का नया वेरिएंट, अधिक गंभीर लक्षणों का बनता है कारण
प्रतीकात्मक तस्वीर

पुणे: अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में मिला कोरोना का नया वेरिएंट, अधिक गंभीर लक्षणों का बनता है कारण

Jun 08, 2021
04:06 pm

क्या है खबर?

पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने ब्रिटेन और ब्राजील से लौटे यात्रियों में कोरोना वायरस के एक नए वेरिएंट का पता लगाया है। TOI के अनुसार, इन यात्रियों से लिए गए सैंपल्स में जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिये कोरोना के B.1.1.28.2 वेरिएंट की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि यह वेरिएंट अधिक गंभीर लक्षणों का कारण बनता है और इसकी खिलाफ वैक्सीन की प्रभावकारिता जांचने की जरूरत है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।

वैक्सीन

कोवैक्सिन ने दिखाई वेरिएंट के खिलाफ प्रभावकारिता

बताया जा रहा है वजन कम होना, श्ववसन तंत्र में वायरस बढ़ना, फेफड़ो में घाव होना और फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारियां इस वेरिएंट के लक्षण हैं। हालांकि, NIV ने पाया है कि स्वदेशी कोरोना वायरस वैक्सीन कोवैक्सिन की दो खुराकें इस वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं और शरीर में एंटीबॉडीज बढ़ाती हैं। बता दें कि वायरस में होने वाले म्यूटेशन का पता लगाने के लिए उनकी जीनोम सीक्वेंसिंग की जाती है ताकि नए स्ट्रेन का पता चल सके।

कोरोना वायरस

बीते महीने वियतनाम में मिला था नया वेरिएंट

हालिया दिनों में मिला यह कोरोना वायरस का दूसरा वेरिएंट है, जिसके खतरनाक होने की बात कही जा रही है। इससे पहले बीते महीने के आखिर में वियतनाम में कोरोना का नया वेरिएंट मिला था, जो हवा के जरिये फैलता है। यह सबसे पहले भारत में पाए गए वेरिएंट की तरह है, लेकिन इसके म्यूटेशन ब्रिटेन में मिले स्ट्रेन जैसे हैं। बता दें कि भारत और ब्रिटेन में मिले दोनों ही स्ट्रेन अधिक खतरनाक और संक्रामक हैं।

जानकारी

क्यों मिल रहे हैं कोरोना के नए वेरिएंट्स?

कोरोना महामारी फैलाने के पीछे SARS-CoV2 वायरस का हाथ है। वायरस के DNA में बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है। ज्यादा म्यूटेशन होने पर वायरस नया रूप ले लेता है, जिसे नया स्ट्रेन कहा जाता है। वायरस के नए स्ट्रेन सामने आने के कई कारण हैं। इसमें एक कारण लगातार वायरस का फैलना है। कोरोना से संक्रमित हर नया मरीज वायरस को म्यूटेट होना का मौका देता है। ऐसे में मरीज बढ़ने के साथ-साथ वेरिएंट की संभावना बढ़ जाती है।

जानकारी

क्यों होते हैं वायरस में म्यूटेशन?

सरल भाषा में समझें तो SARS-CoV-2 का जेनेटिक कोड लगभग 30,000 अक्षरों के RNA का एक गुच्छा है। जब वायरस इंसानी कोशिकाओं में प्रवेश करता है तो यह वहां अपनी तरह के हजारों वायरस पैदा करने की कोशिश करता है। कई बार इस प्रक्रिया के नए वायरस में पुराने का DNA पूरी तरह 'कॉपी' नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में हर कुछ हफ्तों के बाद वायरस म्यूटेट हो जाता है, मतलब उसका जेनेटिक कोड बदल जाता है।

कोरोना वायरस

देश में क्या है महामारी की स्थिति?

देश में हालात सुधर रहे हैं और कोरोना मामलों में गिरावट देखने को मिली है। भारत में बीते दिन कोरोना के 86,498 नए मामले सामने आए और 2,123 मरीजों की मौत हुई। ये 2 अप्रैल के बाद एक दिन में सामने आए सबसे कम नए मामले हैं। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,89,96,473 हो गई है। इनमें से 13,03,702 सक्रिय मामले हैं और 3,51,309 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है।