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भारत कैसे कर सकता है डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का मुकाबला?
भारत के पास डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से निपटने के विकल्प क्या हैं?

भारत कैसे कर सकता है डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का मुकाबला?

Aug 08, 2025
01:57 pm

क्या है खबर?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा ने अमेरिका और भारत के बीच संबंधों में खटास ला दी है। ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि यह कदम भारत द्वारा रूस से तेल खरीद के कारण उठाया गया था। हालांकि, भारत ने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के दोहरे मानकों की आलोचना की है, क्योंकि ये देश खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं भारत इस स्थिति से कैसे निपटेगा।

प्रतिक्रिया

भारत ने अमेरिका की दोहरे मानकाें पर क्या दी प्रतिक्रिया?

भारत की ओर से कहा गया है कि भारत की तुलना में चीन वर्तमान में रूस से ज्यादा तेल खरीदता है, लेकिन इसके बाद भी ट्रंप प्रशासन ने उसके खिलाफ इस तरह का रुख नहीं अपनाया। हालांकि, टैरिफ का असर भारतीय उपभोक्ताओं पर उतना तत्काल नहीं होगा जितना अमेरिकी उपभोक्ताओं पर होगा। टैरिफ से भारतीय निर्यातकों पर भारी दबाव पड़ेगा, क्योंकि उनके अमेरिकी खरीदार मूल्य वृद्धि के कारण विकल्प तलाश रहे हैं। इससे भारत में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है।

#1

भारतीय मूल के कांग्रेसियों और शीर्ष कंपनियों मालिकों को अपने पक्ष में करना

अमेरिका के चीन पर टैरिफ बढ़ाने के बाद जेन्सन हुआंग, बिल गेट्स और एलन मस्क जैसे अमेरिकी कारोबारी चीन के पक्ष में आ गए थे, लेकिन भारत के लिए ऐसा कम ही होता है। ऐसे में अब भारत को अपना पक्ष रखने के लिए आधा दर्जन भारतीय मूल के कांग्रेसियों और माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और एडोब सहित कई व्यापारिक समूहों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) के साथ बातचीत कर उन्हें अपने पक्ष में लाने का प्रयास करना होगा।

#2

ट्रम्प के टैरिफ के खिलाफ एक एकीकृत BRICS प्रयास की तलाश

BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना समूह) के प्रति ट्रंप का गुस्सा व्हाइट हाउस में वापसी के बाद से ही स्पष्ट दिखाई दे रहा है। ट्रंप को डर है कि यह समूह डॉलर का विकल्प ला सकता है। रूस पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है और ब्राजील समेत चीन पर भी प्रतिबंध लगे हैं। ऐसे में भारत BRICS देशों के साथ एक ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ विशेष योजना बना सकता है।

#3

रूसी तेल की खपत को चरणबद्ध तरीके से कम करना

इसके अलावा, भारत को यह भी विचार करना होगा कि क्या वह रूसी तेल की खरीद में चरणबद्ध कटौती के लिए कोई विशेष समझौता पेश कर सकता है। हालांकि, उसके इस बदलाव का असर वैश्विक तेल कीमतों पर पड़ेगा। भारत के इस कदम से वह अमेरिका के टैरिफ बम से तो बचने में सफल हो जाएगा, लेकिन उसे दशकों से अपने सबसे करीबी दोस्त रहे रूस के साथ संबंधों में दरार या कड़वाहट भी झेलनी पड़ सकती है।

#4

अमेरिका के लिए कुछ रियायतों की घोषणा

भारत प्रमुख कृषि उत्पादों पर अमेरिका को रियायत देकर भी टैरिफ से होने वाले नुकसान से बचने का रास्ता निकाल सकता है। हालांकि, इसका भारतीय किसानों पर गहरा असर पड़ेगा। यह एक ऐसा विकल्प है जिसके लिए भारत शायद ही तैयार होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि भारत किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, फिर भले ही इसके लिए उसे भारी कीमत चुकानी पड़े। ऐसे में यह तरीका सार्थक नजर नहीं आता है।

#5

चीन की तरह जवाबी कार्रवाई करने का रास्ता

भारत के पास अमेरिका के इस कदम का एक अन्य विकल्प चीन की तरह जवाबी टैरिफ लगाकर जवाबी कार्रवाई करने का भी है। इसके लिए भारत को उन उत्पादों की सूची बनानी होगी, जिनकी अमेरिका में ज्यादा मांग है। हालांकि, अमेरिकी बाजारों में भारत का चीन जैसा दबदबा नहीं है। चीन के पास दुर्लभ खनिजों पर मजबूत पकड़ है, जिसकी अमेरिकी रक्षा क्षेत्र को जरूरत है। अब देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस मुद्दे से कैसे निपटेगा।