जम्मू-कश्मीर में अब तक का सबसे बड़ा आर्म्स लाइसेंस घोटाला, कई जिलाधिकारी रडार पर
हथियारों के अवैध लाइसेंस जारी करने के मामले में जम्मू-कश्मीर के कई जिलाधिकारी CBI की रडार पर है। लाइसेंस घोटाले की जांच कर रही CBI का कहना है कि कई जिलाधिकारियों समेत इन नौकरशाहों ने आर्म्स डीलरों के साथ मिलकर पैसों के लिए अवैध लाइसेंस जारी किए थे। एजेंसी ने कहा कि 2012 से जिलाधिकारियों ने पैसों के लिए 2.78 लाख से अधिक अवैध लाइसेंस जारी किए हैं। यह देश का सबसे बड़ा आर्म्स लाइसेंस घोटाला माना जा रहा है।
CBI ने 40 जगहों पर की छापेमारी
CBI ने बयान में कहा कि जांच के सिलसिले में उसने जम्मू-कश्मीर में बंदूकों की 20 दुकानों समेत 40 ठिकानों पर छापेमारी की है। जिन अधिकारियों के घरों पर छापेमारी हुई, उनमें शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार का भी नाम शामिल है। फिलहाल जनजातीय मामलों के विभाग में सचिव चौधरी जम्मू-कश्मीर के छह जिलों को जिलाधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने माना कि लाइसेंस की फाइल कई स्तरों से होकर गुजरती है तो कुछ मामलों में गड़बड़ी हो सकती है।
लाइसेंस जारी करने में सबसे आगे है जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर आर्म्स लाइसेंस जारी करने में सबसे आगे है। 2018-20 तक देश में कुल 22,805 लाइसेंस जारी किए गए थे। इनमें से 18,000 जम्मू-कश्मीर में जारी हुए। यानी दो सालों में देश के 80 प्रतिशत से अधिक लाइसेंस यहां जारी हुए थे।
2017 में हुआ था घोटाले का खुलासा
आर्म्स लाइसेंस घोटाले का सबसे पहले खुलासा 2017 में राजस्थान पुलिस की एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने किया था। ATS को अपराधियों के पास से जम्मू-कश्मीर से जारी हुए लाइसेंसी हथियार मिले थे। ATS ने पाया कि अब केंद्र शासित प्रदेश बन चुके जम्मू-कश्मीर में सैनिकों के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 3,000 से अधिक लाइसेंस जारी किए गए थे। इसके बाद भाजपा और महबूबा मुफ्ती की पार्टी की सरकार ने राज्य के विजिलेंस विभाग को इसकी जांच सौंपी थी।
मामले में हो चुकी है दो IAS अधिकारियों की गिरफ्तारी
उस वक्त राज्य सरकार पर विजिलेंस विभाग से जांच के नाम पर खानापूर्ति करवा आरोपियों को बचाने के आरोप लगे थे। 2018 में जब राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ, तब इसकी जांच CBI को सौंपी गई। NDTV के अनुसार, CBI ने पिछले साल मार्च में IAS अधिकारी कुमार राजीव रंजन और इतरात रफीकी को गिरफ्तार किया था। इन पर कुपवाड़ा के जिलाधिकारी रहते हुए हजारों फर्जी लाइसेंस जारी करने के आरोप हैं।
कही जा रही हर स्तर के अधिकारियों के शामिल होने की बात
इससे पहले CBI ने दिसंबर 2019 में श्रीनगर समेत जम्मू-कश्मीर की कई जगहों, गुरूग्राम और नोएडा में 10 से अधिक जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर आदि के जिलाधिकारियों के आवासों पर भी छापेमारी की गई थी। बताया जा रहा है कि इस घोटाले में चपरासी से लेकर ऊपर तक के अधिकारी शामिल हैं और करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है। कई डीलरों ने लाइसेंस रिन्यू तक कराने का ठेका ले रखा था।