मणिपुर में SP कार्यालय पर भीड़ ने किया हमला, बढ़ाई गई सुरक्षा
क्या है खबर?
मणिपुर में रह-रहकर हिंसा की घटनाएंं हो रही हैं। बीती रात उग्र भीड़ ने हथियारों के साथ कांगपोकपी जिले में पुलिस अधीक्षक (SP) कार्यालय पर हमला कर दिया। इसमें SP मनोज प्रभाकर घायल हो गए हैं और कुछ वाहन भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।
घटना के बाद इलाके में भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, स्थिति अब नियंत्रण में है और हालात पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।
मांग
केंद्रीय बलों को हटाने की मांग कर रही थी भीड़
एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारी कांगपोकपी जिले के साइबोल गांव में तैनात केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने की मांग करते हुए प्रदर्शन कर रहे थे। तभी हिंसक भीड़ ने कांगपोकपी के SP कार्यालय पर पथराव और पेट्रोल बम से हमला कर दिया।
भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया और स्थिति पर काबू पा लिया।
हमले में पुलिसकर्मियों और प्रदर्शनकारियों सहित अन्य लोगों को भी चोटें आई हैं।
आरोप
संगठनों का आरोप- सुरक्षाबलों ने महिलाओं पर लाठीचार्ज किया
31 दिसंबर को सैबोल गांव में सुरक्षाबलों ने कथित तौर पर महिलाओं पर लाठीचार्ज किया था।
स्वदेशी आदिवासी नेता मंच (ITLF) ने दावा किया कि सुरक्षाकर्मियों के बल प्रयोग में कई महिलाएं घायल हुई हैं। कुकी संगठन इसी घटना का विरोध कर रहे हैं।
आदिवासी एकता समिति (CoTU) ने मांग की है कि केंद्रीय बलों को गांव से वापस बुलाया जाए। CoTU ने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करते हुए कहा था कि निहत्थी महिलाओं पर बल प्रयोग सहन नहीं करेंगे।
बयान
कुकी संगठन बोला- सुरक्षाबल बफर जोन छोड़ें
दैनिक भास्कर के मुताबिक, घटना पर कुकी महिला मानवाधिकार संगठन (KWOHR) ने कहा, "सुरक्षाबलों ने कुकी महिलाओं को निशाना बनाया है। वे समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रही थीं। सुरक्षाबल यहां 19 महीने से तैनात है। इसके बाद भी अगर मैतेई समुदाय हम पर हमला कर रहे हैं तो सुरक्षाबलों को बफर जोन छोड़ देना चाहिए। हमारे लोग सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएंगे।"
हिंसा
मणिपुर में मई, 2023 से हिंसा जारी
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच मई, 2023 से हिंसा जारी है, जो हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद भड़क उठी थी।
इस दौरान अलग-अलग घटनाओं में 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, 1,500 से ज्यादा जख्मी हुए हैं और करीब 60,000 को घर छोड़ना पड़ा है।
अब तक 500 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
हिंसा से चुराचांदपुर, बिष्णुपुर, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।