मणिपुर हाई कोर्ट ने मैतेई समुदाय को ST में शामिल करने का निर्देश वापस लिया
मणिपुर हाई कोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) की सूची में शामिल करने पर विचार करने के अपने 2023 के निर्देश को वापस ले लिया है। कोर्ट के इसी फैसले ने मणिपुर में मैतेई और आदिवासी कुकी-जो समुदायों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष को जन्म दिया था। आज भी कई महीनों बाद यहां के लोग हिंसा की आग में जल रहे हैं। इस हिंसा के कारण अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
हाई कोर्ट ने क्या कहाय़
न्यायमूर्ति गोलमेई गाइफुलशिलु की पीठ ने कहा कि यह फैसला सही तरीके से पारित नहीं किया गया था क्योंकि सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता तथ्य और कानून के बारे में अपनी गलतफहमी के कारण कोर्ट की उचित सहायता करने में विफल रहे थे। न्यायमूर्ति ने कहा कि यह आदेश महाराष्ट्र राज्य बनाम मिलिंद और अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत था, जिसमें कहा गया था कि कोर्ट ST सूची को संशोधित या परिवर्तित नहीं कर सकते।
समीक्षा याचिका पर सुनवाई कर रहा था हाई कोर्ट
मूल मैतेई याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट के आदेश में पैराग्राफ 17 (iii) में संशोधन की मांग करते हुए एक समीक्षा याचिका दायर की थी, जिसमें मैतेई को ST में शामिल करने निर्देश थे। न्यायमूर्ति गाइफुलशिलु ने माना कि पैराग्राफ 17 (iii) के तहत दिए गए आदेश को हटाया जाना चाहिए और फिर इसे हटा दिया। बता दें कि आदिवासी संगठनों के अपील दायर करने पर हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल उठाए थे।
पिछले साल 27 मार्च को कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
दरअसल, 27 मार्च, 2023 को पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह ST की सूची में मैतेई समुदाय को शामिल करने पर विचार करे। कोर्ट के फैसले के बाद 3 मई को राज्य में व्यापक हिंसा देखने को मिली। इसके बाद न्यायमूर्ति मुरलीधरन को कलकत्ता हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। पिछले साल अक्टूबर में कोर्ट विवादास्पद आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करने पर सहमत हो गया था।
3 मई से हिंसा की आग में जल रहा मणिपुर
मणिपुर में मैतेई समुदाय लंबे समय से ST का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं और कुकी समुदाय इसके खिलाफ हैं। कोर्ट के फैसले के खिलाफ पिछले साल कुकी समुदाय ने एकजुटता मार्च निकाला था, जिसके बाद 3 मई को हिंसा भड़क गई थी। मणिपुर हिंसा में अब तक 200 से अधिक मौतें हुई हैं और 1,100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। अब भी रुक-रुक कर राज्य में हिंसा की घटनाएं सामने आती रहती हैं।