मणिपुर: ASP के अपहरण के खिलाफ पुलिस का सांकेतिक प्रदर्शन, कमांडोज ने अपने हथियार डाले
मणिपुर में छिटपुट हिंसा का दौर अब भी जारी है। 27 फरवरी की रात हथियारबंद लोगों ने एक सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) अमित मायेंगबाम का अपहरण कर लिया था। हालांकि, कुछ ही घंटों बाद सुरक्षा बलों ने ASP को सुरक्षित छुड़ा लिया था। अब पुलिसकर्मियों ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन किया है। पुलिस कमांडो ने अपने हथियार जमीन पर रखकर सांकेतिक रूप से घटना के प्रति आक्रोश व्यक्त किया।
क्या है मामला?
27 फरवरी की शाम मैतेई समूह से जुड़े करीब 200 हथियारबंद लोगों ने ASP अमित के घर पर हमला कर दिया था। इस दौरान उनके सुरक्षा गार्ड और बदमाशों के बीच फायरिंग भी हुई, जिसमें कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसके बाद बदमाश अमित का अपहरण कर अपने साथ ले गए थे। कुछ घंटों बाद ही अमित को छुड़वा लिया गया था और अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर है।
कमांडो ने क्यों डाले हथियार?
मणिपुर पुलिस कमांडो के एक वर्ग ने आरोप लगाया है कि घटना के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे खुद को नियंत्रित करने के लिए कहा था। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि कमांडो इस बात से नाराज हैं कि उन्हें कथित तौर पर सशस्त्र समूह पर गोलीबारी का जवाब नहीं देने के लिए कहा गया था। हालांकि, इस बारे में और पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है।
भीड़ ने क्यों किया था ASP पर हमला?
दरअसल, ASP ने कुछ दिन पहले वाहन चोरी के आरोप में मैतेई संगठन अरामबाई तेंगगोल के 6 सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद संगठन के लोग अपने सदस्यों की रिहाई को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और संगठन से जुड़े 2 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। बताया जा रहा है कि ये दोनों पुलिस की जवाबी कार्रवाई में घायल हो गए थे।
हालात तनावपूर्ण, सेना तैनात
घटना के बाद पूर्वी इंफाल में हालात तनावपूर्ण, लेकिन काबू में बताए जा रहे हैं। स्थिति पर काबू पाने के लिए सेना बुलाई गई है और असम रायफल्स की 4 टुकड़ियां तैनात की गई हैं। इससे पहले 15 फरवरी को चुराचांदपुर जिले में करीब 400 लोगों की भीड़ ने पुलिस अधीक्षक (SP) कार्यालय पर हमला कर दिया था और कई वाहनों में आग लगा दी गई थी। इस घटना में 2 लोगों की मौत भी हुई थी।
न्यूजबाइट्स प्लस
अरामबाई तेंगगोल एक कट्टरपंथी मैतेई समूह है, जिस पर मणिपुर हिंसा शुरू होने के बाद कई बार आदिवासियों के खिलाफ हिंसा करने के आरोप लगे हैं। समूह के सदस्यों पर हत्या, सुरक्षाबलों पर हमले और जबरन वसूले जैसे आरोप भी लगते रहे हैं। कथित तौर पर इस समूह को नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। समूह ने पिछले महीने एक शपथ ग्रहण समारोह में 36 विधायकों और 2 सासंदों को भी बुलाया था।