कोझिकोड विमान हादसे ने ताजा की मंगलुरु हादसे की याद, दोनों का एक ही कारण
केरल के कोझिकोड अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (कारीपुर हवाई अड्डा) पर शुक्रवार रात को एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान गीले रनवे के कारण हादसे का शिकार हो गया। इसमें दो पायलटों सहित 18 लोगों की मौत हो गई। हालांकि, हादसे का सटीक कारण अभी भी सामने नहीं आया है, लेकिन भारी बारिश और गीले रनवे को इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है। इस हादसे ने मई 2010 में हुए मंगलुरु विमान हादसे की यादों को ताजा कर दिया है।
इस तरह से हुआ था मंगलुरु विमान हादसा
मई 2010 में दुबई से आया एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान लैंडिंग के दौरान फिसलते हुए खाई में गिर गया था। इससे विमान में आग लग गई थी और विमान में सवार दोनो पायलट सहित 158 यात्रियों की मौत हो गई थी। हादसे में आठ लोगों की जान बची थी। उस विमान को 10,000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव रखने वाले पायलट जेड ग्लूकिया और 3,000 घंटे की उड़ान का उनुभव रखने वाले एसएस अहलूवालिया उड़ा रहे थे।
रवने पर भरे बारिश के पानी ने लैंडिंग को बनाया खतरनाक
हादसे के बाद विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि दर्जनों बाद मंगलुरू हवाई अड्डे पर लैंडिंग करने वाले अनुभवी पायलटों ने पूरी उड़ान के दौरान किसी खराबी की सूचना नहीं दी थी, लेकिन बारिश के पानी से गील टेबल-टॉप रनवे ने लैंडिंग को खतरनाक बना दिया। पहाड़ी के ऊपर बना रनवे गहरी घाटियों से घिरा हुआ था। जलते हुए विमान से बाहर निकलकर जान बचाने वालों ने कहा था कि विमान घाटी में गिरा था।
मंगलुरु की ही तरह कोझीकोड हवाई अड्डे के रनवे पर भी भरा था पानी
मंगलुरु विमान हादसे की तरह कोझीकोड में भी रनवे पर बारिश का पानी भरा हुआ था। इस रनवे को पहाड़ की चोटियों को काटकर बनाया गया है और इसमें ओरवशूटिंग के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे में यहां लैंडिंग के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से, भारत में पांच टेबल-टॉप रनवे हैं। इनमें मिजोरम का लेंगपुई, सिक्किम का प्योंगॉन्ग, केरल का कोझीकोड, हिमाचल के शिमला और कुल्लू हवाई अड्डे के रनवे शामिल हैं।
लैंडिंग से पहले विमान ने लगाए हवाई अड्डे के कई चक्कर
रिपोर्ट के अनुसार कोझीकोड़ का रनवे 2,860 मीटर लंबा है और यह मंगलुरु हवाई अड्डे के रनवे से लंबा है। हालांकि, लगातार हुई बारिश ने दृश्यता को कमजोर कर दिया था। ऐसे में पायलटों ने एक कठिन लैंडिंग करने का निर्णय किया। हादसे में सबसे बड़ी राहत यह रही कि विमान में आग नहीं लगी। रिपोर्ट के अनुसार विमान ने दो बार लैंडिंग का प्रयास किया और लैंडिंग से पहले कई बार हवाई अड्डे के चक्कर लगाए थे।
विशेषज्ञों ने हवाई अड्डे को लैंडिंग के लिए घोषित किया था अयोग्य
हकीकत यह है कि एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने कोझिकोड हवाई अड्डे को लैंडिंग के लिए असुरक्षित बताया था। एयर सेफ्टी विशेषज्ञ कैप्टन मोहन रंगनाथन ने नौ साल पुरानी रिपोर्ट में कहा कि कोझिकोड अवाई अड्डे पर लैंडिंग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने NDTV को बताया, "रनवे के पास एक नीचा क्षेत्र है, कोई सुरक्षा क्षेत्र नहीं है। उन्होंने नौ साल पहले चेतावनी दी थी, लेकिन वहां हवाईअड्डे का संचालन जारी रखा गया और उसे सुरक्षित घोषित कर दिया।"
विशेषज्ञ ने 2011 में जारी की थी दुर्घटना की चेतावनी
TOI से बात करते हुए कैप्टन रंगनाथन ने कहा कि उन्होंने मंगलुरु की घटना के बाद 2011 में ही निष्पक्ष चेतावनी दी थी। उनके अनुसार किसी भी हवाई अड्डे पर बफर क्षेत्र कम से कम 240 मीटर का होना चाहिए था। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि रनवे और सुरक्षा क्षेत्र (RESA) की कमी को देखते हुए रनवे 10 पर लैंडिंग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन, उनकी चेतावनियों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
हवाई अड्डे के संचालन को बताया अपराध
उन्होंने कहा कि रनवे के दोनों किनारों पर 200 फीट गहरी घाटियां हैं। यह बहुत नीचे की ओर है। एयरलाइंस वहां विमानों का अंधाधुंध परिचालन कर रही है। यदि कोई हताहत होता है तो यह हत्या है और एक बड़ा अपराध है।