#NewsBytesExplainer: नए आपराधिक कानूनों में महिलाओं से जुड़े अपराधों में मिलेगी सख्त सजा, क्या-क्या हुए बदलाव?
आज यानी 1 जुलाई से देश में 3 नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। इन्हें भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) नाम दिया गया है। ये तीनों कानून क्रमश: भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। इन कानूनों से देश के कानून व्यवस्था में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। आइए कुछ खास बातें जानते हैं।
महिलाओं से जुड़े अपराधों में सख्त प्रावधान
नाबालिग से बलात्कार के मामले में 20 साल का कठोर कारावास, उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। सामूहिक दुष्कर्म के अपराधी को आजीवन कारावास का प्रावधान है। 2 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार पर न्यूनतम 20 साल की सजा, आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है। शादी का वादा करके संबंध बनाने के अपराध को बलात्कार से हटाकर अलग अपराध के तौर पर परिभाषित किया गया है।
मॉब लिचिंग पर हो सकती है फांसी की सजा
मॉब लिंचिंग भी अपराध के दायरे में आ गया है और इसमें मौत की सजा का प्रावधान है। अगर 5 या इससे ज्यादा लोग जाति, नस्ल या भाषा आधार पर हत्या करते हैं तो न्यूनतम 7 साल या फांसी होगी। बता दें कि IPC में मॉब लिंचिंग के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं था। हत्या के मामले में धारा 103 के तहत मामला दर्ज होगा। धारा 111 में संगठित अपराध के लिए सजा का प्रावधान है।
सुनवाई पूरी होने के 45 दिन में आएगा फैसला
नए कानूनों के अनुसार, आपराधिक मामलों में फैसला सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर आना चाहिए और पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय किए जाने चाहिए। अन्य मामलों में सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के भीतर कोर्ट को फैसला देना होगा। पुलिस को FIR के 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी जरूरी होगी। इसके 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे।
कहीं से भी दर्ज हो सकेगी जीरो FIR
ई-सूचना से भी FIR दर्ज हो सकेगी। हत्या, लूट या बलात्कार जैसी गंभीर अपराधों में भी ई-FIR हो सकेगी। ऐसे मामलों में फरियादी को 3 दिन के भीतर थाने पहुंचकर हस्ताक्षर करने होंगे। पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा। पीड़ित को उसके मामले से जुड़ी हर जानकारी मोबाइल नंबर पर दी जाएगी। गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।
आतंकवाद की हुई व्याख्या
नए कानून में पहली बार आतंकवाद की व्याख्या की गई है। भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करना अब आतंकवाद की श्रेणी में आएगा। देश के बाहर भारत की किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना भी आतंकवादी कृत्य माना जाएगा। नकली नोट या सिक्के चलाना या उनकी तस्करी करना भी आतंकवाद में शामिल किया गया है। ऐसे मामले में उम्रकैद से लेकर फांसी की सजा तक का प्रावधान है।
धाराओं में कितना बदलाव हुआ?
IPC में 511 धाराएं थीं। इसके स्थान पर BNS में 356 धाराएं हैं। इसमें 175 धाराएं बदली गई हैं और 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। BNS में IPC की 22 धाराओं को पूरी तरह खत्म किया गया है। इसी तरह CrPC की जगह लेने वाले BNSS में 533 धाराएं हैं। इसमें 160 धाराओं में बदलाव किया गया है, 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 को पूरी तरह खत्म किया गया है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में क्या हुआ बदलाव?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 167 धाराएं थीं। नए कानून में 6 धाराओं को खत्म कर दिया गया है और 2 नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं। इसमें गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान है। अब इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कोर्ट में मान्य होंगे। इनमें ई-मेल, मोबाइल फोन, इंटरनेट आदि से मिलने वाले साक्ष्य शामिल हैं। फरियादी को FIR, बयान और आरोपी से हुई पूछताछ की जानकारी दिए जाने के भी प्रावधान हैं।