रूसी सेना में धोखे से भर्ती किए गए 4 भारतीय घर लौटे, सुनाई जुल्म की दास्तां
क्या है खबर?
रूस की सेना में धोखे से भर्ती किए गए 4 भारतीय युवक वतन लौट आए हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, ये लोग 13 सितंबर को भारत वापस आ गए हैं। इनमें तेलंगाना के मोहम्मद सूफियान और कर्नाटक के 3 अन्य युवक शामिल है।
सुफियान ने करीब 7 महीने पहले एक वीडियो जारी कर अपनी दयनीय हालत के बारे में बताते हुए मदद की गुहार लगाई थी। अब इन्होंने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में बताया है।
व्यवहार
गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता था- सूफियान
सूफियान ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "हमारे साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता था। हमें हर दिन सुबह 6 बजे जगाया जाता था और 15 घंटे तक लगातार काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। बहुत कम या बिल्कुल भी आराम नहीं मिलता था। स्थितियां अमानवीय थीं और हमें बहुत कम राशन पर गुजारा करना पड़ता था। हमारे हाथों में छाले पड़ गए थे, हमारी पीठ में दर्द था और हमारा हौसला टूट गया था।"
कहानी
सूफियान ने सुनाई दोस्त की मौत की दास्तां
सूफियान ने कहा कि दूसरे सैनिकों को मरते देखना दुख को और बढ़ा देता था।
उन्होंने कहा, "गुजरात से मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त हैमिल ड्रोन हमले में मारा गया। वह 24 सैनिकों की टीम का हिस्सा था, जिसमें एक भारतीय और एक नेपाली भी था। इसने मुझे झकझोर कर रख दिया। हैमिल की मौत के बाद हमने अपने परिवारों को स्थिति के बारे में बताया। तब उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से हमें बचाने का अनुरोध किया।"
अनुमति
परिवार से बात करने की नहीं थी अनुमति
सुफियान ने कहा, "हमारा काम कोई मामूली नहीं था। हमें गड्ढे खोदने पड़ते थे, असॉल्ट राइफलें चलानी होती थीं। हमें AK-12 और AK-74 जैसी कलाश्निकोव साथ ही हैंड ग्रेनेड और दूसरे विस्फोटक चलाने का भी प्रशिक्षण दिया गया था। सबसे बड़ी चुनौती बाकी दुनिया से कटे रहना था। हमें पता ही नहीं था कि वे रूस में कहां हैं या उन्हें कहां रखा जा रहा है। हमें भारत में अपने परिवारों से बात करने की अनुमति नहीं थी।"
फोन
कर्नाटक के अब्दुल बोले- फोन छीन लिया था
रूस से लौटे कर्नाटक के अब्दुल नईम ने कहा, "हमारे मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए थे। प्रशिक्षण के दौरान महीनों तक मैं अपने परिवार से बात नहीं कर पाया। युद्ध क्षेत्र में रहने का मनोवैज्ञानिक असर बहुत ज्यादा था।"
कर्नाटक के कलबुर्गी के रहने वाले सैयद इलियास हुसैनी ने बताया, "जब रोजाना हम उठते तो यह पता नहीं होता था कि क्या यह हमारा आखिरी दिन होगा? गोलियों और धमाकों की आवाज रोजाना की बात हो गई थी।"
भर्ती
कैसे रूसी सेना में भर्ती किए गए भारतीय?
सूफियान ने बताया कि उन्हें एक एजेंट ने रूसी सरकार के कार्यालय में सुरक्षा गार्ड या सरकारी कार्यालय में सहायक के रूप में नौकरी का आश्वासन दिया था।
रूस पहुंचने पर इन लोगों से एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाए गए, जिसमें कहा गया था कि एक साल की नौकरी के बदले उन्हें हर महीने एक लाख रुपये दिए जाएंगे।
हालांकि, बाद में इन्हें शिविर में ले जाकर सैन्य प्रशिक्षण दिया गया।