Page Loader
प्रधानमंत्री मोदी आज रखेंगे वधावन बंदरगाह की आधारशिला, जानें क्या है इसकी खासियत 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वधावन बंदरगाह की आधारशिला रखेंगे (प्रतीकात्मक फोटो)

प्रधानमंत्री मोदी आज रखेंगे वधावन बंदरगाह की आधारशिला, जानें क्या है इसकी खासियत 

लेखन आबिद खान
Aug 30, 2024
11:36 am

क्या है खबर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 30 अगस्त को महाराष्ट्र दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे मुंबई और पालघर में लाखों रुपये की लागत की कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। वे पालघर में करीब 76,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले वधावन बंदरगाह की आधारशिला भी रखेंगे। करीब 15 साल में बनकर तैयार होने के बाद ये दुनिया के शीर्ष 10 बंदरगाहों में से एक होगा। आइए इसकी खासियत जानते हैं।

वधावन बंदरगाह 

कौन बना रहा है वधावन बंदरगाह?

बंदरगाह के निर्माण को फरवरी 2020 में सागरमाला प्रोजेक्ट के तहत सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी। हालांकि, 2014 के बाद से ही सरकार ने इस बंदरगाह को बनाने में रुचि दिखाई थी। इसका निर्माण जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (MMB) द्वारा गठित वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड (VPPL) कर रहा है। VPPL में JNPA के पास 74 प्रतिशत और MMB के पास 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर विकसित किया जा रहा है।

खासियत

क्या है खासियत?

यह भारत का इकलौता ऐसा बंदरगाह होगा, जहां समुद्र तट के पास 20 मीटर का ड्रॉफ्ट (20 मीटर की गहराई) मिलेगी। इससे भारी और बड़े जहाजों को यहां आने-जाने में आसानी होगी। पूरी तरह बनने के बाद इसकी क्षमता करीब 29.8 करोड़ टन होगी। बंदरगाह में 1,000 मीटर लंबाई के 9 कंटेनर टर्मिनल होंगे। साथ ही 4 बहुउद्देशीय बर्थ, 4 लिक्विड कार्गो बर्थ, एक रो-रो बर्थ और एक तटरक्षक बर्थ भी होगा।

रोजगार

कितने लोगों को मिलेगा रोजगार?

वधावन बंदरगाह परियोजना से आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलने के साथ करीब 12 लाख लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पहले कहा था, "इतने बड़े बंदरगाह के निर्माण का कैबिनेट का फैसला भारत की समुद्री ताकत को मजबूत करेगा और लगभग 12 लाख रोजगार के अवसर पैदा करेगा।"

फायदे

क्या होंगे फायदे?

जानकारों के मुताबिक, ये बंदरगाह अफ्रीका के पूर्वी तट, भारत के पश्चिमी तट और फारस की खाड़ी के आसपास बसे देशों की कंटेनर यातायात की जरूरतों को पूरा करेगा। चाबहार बंदरगाह से समझौते के बाद भारत अब इस मार्ग का और बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर पाएगा। ये देश का सबसे बड़ा कंटेनर डिपो भी होगा, इसलिए भारत से अधिक मात्रा में माल दूसरे देशों को भेजा जा सकेगा। यूरोप, मध्य एशिया और रूस तक माल पहुंचाने में आसानी होगी।

दौरा

इन परियोजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास भी करेंगे प्रधानमंत्री 

प्रधानमंत्री लगभग 1,560 करोड़ रुपये की लागत वाली 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगे। इससे मत्स्य पालन क्षेत्र में 5 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। इसके अलावा वे करीब 360 करोड़ रुपये की लागत से नेशनल रोल आउट ऑफ वेसल कम्युनिकेशन एंड सपोर्ट सिस्टम का शुभारंभ भी करेंगे। इसके तहत 13 तटीय राज्यों में मछली पकड़ने वाले जहाजों पर 1 लाख ट्रांसपोंडर लगाए जाएंगे।