युवाओं में अचानक हार्ट अटैक के लिए कोविड वैक्सीनेशन जिम्मेदार नहीं, ICMR अध्ययन में हुआ खुलासा
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोविड वैक्सीनेशन के कारण भारत में युवाओं में अचानक मौत और हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि की संभावनाओं से इनकार किया है। ICMR ने अपने अध्ययन में कहा, "कोविड-19 वैक्सीनेशन से भारत में युवा वयस्कों में अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा है। कोरोना महामारी के दौरान पारिवारिक इतिहास और कुछ जीवनशैली व्यवहारों के कारण अचानक मृत्यु की संभावनाओं में वृद्धि हुई है।"
ICMR ने अपने अध्ययन में क्या कहा?
ICMR ने अपने अध्ययन में कहा कि वैक्सीनेशन के बाद युवाओं में किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के लिए वैक्सीन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। उसने कहा, "कोविड-19 वैक्सीनेशन से युवाओं में अचानक मौत के मामलों में वृद्धि नहीं हुई है, बल्कि इससे वास्तव में इस तरह का जोखिम कम हुआ है। अचानक मौतों में वृद्धि पारिवारिक इतिहास, अत्यधिक शराब पीना और अन्य तरह की स्वास्थ्य संंबंधी असामान्य गतिविधि से जुड़ी है।"
ICMR ने कब किया अध्ययन?
ICMR के अनुसार, ये अध्ययन 1 अक्टूबर, 2021 से लेकर 31 मार्च, 2023 तक किया गया। अध्ययन में देशभर के 47 अस्पतालों में भर्ती 18 से 45 साल की उम्र के उन लोगों को शामिल किया गया, जो स्पष्ट रूप से स्वस्थ थे। इनमें से एक भी व्यक्ति पुरानी बीमारी से नहीं जूझ रहा था। अध्ययन से पता चला कि जिन्होंने वैक्सीन की 2 खुराकें ली थीं, उनमें अचानक होने वाली मौत का खतरा बेहद कम था।
ICMR ने अचानक मौतों के लिए इन चीजों को भी ठहराया जिम्मेदार
ICMR ने कहा कि अध्ययन में सामने आया कि युवाओं में अचानक मौत के मामलों में वृद्धि के पीछे 48 घंटे पहले अत्यधिक शराब का सेवन, ड्रग्स या फिर जबरदस्त शारीरिक व्यायाम जैसे कारक भी पाए गए। लॉन्ग कोविड को भी अचानक मौत के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार नहीं पाया गया। बता दें कि ICMR ने अपने अध्ययन में हार्ट अटैक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है, लेकिन अचानक मौत से मतलब हार्ट अटैक से ही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकारी थी हार्ट अटैक के मामले बढ़ने की बात
इससे पहले मार्च में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ICMR के प्रारंभिक अध्ययन का हवाला देते हुए मौत के मामलों में वृद्धि की बात स्वीकारी थी। उन्होंने कहा था कि कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक के कारण होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है। इन प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अध्ययन के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के शोधकर्ताओं की एक टीम भी गठित की थी।