उत्तराखंड: सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए इस्तेमाल होने वाली ट्रेंचलेस तकनीक क्या है?
उत्तराखंड में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग ढहने की वजह से पिछले 3 दिनों से 40 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं। बचाव दल मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। शॉर्टक्रेटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर सुरंग बनाई जा रही थी, लेकिन इस दौरान ऊपर से और अधिक मलबा गिर गया, जिसने परेशानी और बढ़ा दी है। अब मजदूरों को सुरंग से निकालने के लिए ट्रेंचलेंस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सबसे पहले जानते हैं ट्रेंचलेंस तकनीक क्या है?
ट्रेंचलेस तकनीक पुराने पाइप को हटाने और उसके स्थान पर एपॉक्सी सीलर्स के साथ एक नई पाइपलाइन लगाने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के लिए पाइप, ड्रिल पाइप, केबल और सतही ड्रिलिंग रिंग का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक को माइक्रो टनलिंग तकनीक भी कहते हैं। इस तकनीक के जरिए बिना खुदाई के किये सुरंग बनाई जाती है। इस तकनीक का इस्तेमाल भूमिगत पाइपलाइन या सीवरलाइन के लिए किया जाता है।
मजदूरों को इस तकनीक से कैसे निकाला जाएगा?
नई योजना के तहत ट्रेंचलेस तकनीक की मदद से 900 मिमी व्यास वाले माइल्ड स्टील पाइपों के माध्यम से रास्ता बनाया जा रहा है। एक ऑगर ड्रिलिंग मशीन में घूमने वाले शाफ्ट से जुड़ी एक स्पाइरल ब्लेड लगी है, जो मिट्टी को ड्रिल करते हुए छेद से दूर धकेलेगी। इसके बाद पाइपों को मलबे के ढेर के माध्यम से धकेला जाएगा, जिससे अंदर के लोगों के लिए रेंगने के लिए पर्याप्त चौड़ा रास्ता बन सकेगा।
ट्रेंचलेंस तकनीक से क्या होगा लाभ?
यह अन्य तकनीकों से अधिक सुरक्षित है, खासकर जब तंग इलाकों में भूमिगत रोड या पाइप लगाने की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रक्रिया के दौरान सुरंग में कीचड़ और पानी जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है और इससे भूस्खलन भी नहीं होता।
बचाव अभियान के बीच अचानक शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन
पहले ही बचाव अभियान के दौरान बचाव दल को कई परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और अब मजदूर अपने साथी मजदूरों को बाहर निकालने की मांग करते हुए बचाव अधिकारियों से भिड़ गए। ANI के मुताबिक, यह मजदूरों इस दौरान "हमारे आदमी निकालो" जैसे नारे भी लगा रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन से प्रशासन में हड़कंप मच गया है। स्थानीय अधिकारी मजदूरों को समझाने के प्रयास में जुटे हैं।
सुरंग में कैसे फंसे मजदूर?
रविवार सुबह लगभग 5:00 बजे उत्तरकाशी में भूस्खलन के चलते ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा से डंडालगांव तक निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया था, जिसमें 40 मजदूर अंदर फंस गए। इनमें झारखंड के 15, उत्तर प्रदेश के 8, ओडिशा के 5, बिहार के 4, पश्चिम बंगाल के 3, उत्तराखंड के 2, असम के 2 और हिमाचल का एक मजदूर शामिल है। सभी मजदूर सुरंग में सुरक्षित हैं। उन्हें खाने-पीने की चीजें लगातार मुहैया कराई जा रही हैं।
मजदूरों के संपर्क में हैं बचाव दल
एक अधिकारी ने कहा कि बचाव दलों ने वॉकी-टॉकी के जरिए मजदूरों के साथ सफलतापूर्वक बातचीत की है। उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा, "अंदर फंसे सभी 40 मजदूर सुरक्षित और स्वस्थ हैं। कुछ दवाएं मुहैया कराई गई हैं।" अंदर फंसे मजदूरों में से एक गब्बर सिंह नेगी ने अपने बेटे से बात की। उन्होंने कहा कि अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं और चिंता करने की जरूरत नहीं है।"