बिहार में जहरीली शराब से कम से कम 37 की मौत, उच्च स्तरीय जांच के आदेश
बिहार के सिवान और सारण जिले में जहरीली शराब पीने से कम से कम 37 लोगों को मौत हो गई है। सीवान में 28, जबकि सारण में 9 लोग मारे गए हैं। 20 से अधिक लोग अभी भी अस्पताल में भर्ती बताए जा रहे हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और दर्जनों लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है।
मुख्यमंत्री ने की उच्च स्तरीय बैठक
मुख्यमंत्री नीतीश ने 17 अक्टूबर की शाम मद्य निषेध एवं उत्पाद शुल्क विभाग के साथ समीक्षा बैठक की और मामले की अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के अधिकारी से जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों को घटनास्थल पर जाकर सभी पहलुओं की जांच करने को कहा है। बैठक में नीतीश ने कहा, "प्रशासन सुनिश्चित करे कि शराबबंदी कानून का पूरी तरह से पालन हो। हम लोगों से शराब पीने से परहेज करने का अनुरोध करते हैं।"
अब तक करीब 47 लोग गिरफ्तार
मामले में अब तक सीवान पुलिस ने 10 और सारण पुलिस ने 37 लोगों को गिरफ्तार किया है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सीवान के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "सारण और सीवान में 2022 में हुई शराब की घटनाओं में भी लगभग यही ट्रेंड देखने को मिला है। पड़ोसी उत्तर प्रदेश से पाउच में देशी शराब सारण, सीवान और गोपालगंज भेजी जाती है। सभी मौतों के लिए एक ही खेप को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।"
क्या कह रहे हैं पीड़ितों के परिजन?
सीवान की शकुंतला देवी के पति मोहन का शराब पीने के बाद निधन हो गया है। उन्होंने BBC हिंदी से कहा, "रात को दारू पीकर आए थे तो खाना नहीं खाया। सुबह 3 बजे होते-होते बेचैनी महसूस हुई। कहने लगे कि दिख नहीं रहा है। हम लोग पहले बाइक से फिर गाड़ी की व्यवस्था करके अस्पताल पहुंचे। वहां डॉक्टर ने पटना रेफर कर दिया, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई।"
तेजस्वी बोले- ये सामूहिक हत्या है
तेजस्वी यादव ने लिखा, 'बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य में हुई हालिया मौतों के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए। यह एक सामूहिक हत्या है। शराबबंदी नीतीश सरकार के संस्थागत भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है। शराबबंदी को प्रभावी ढंग से लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। शराबबंदी आज बिहार में सुपर फ्लॉप है। शराबबंदी नीतीश कुमार के संस्थागत भ्रष्टाचार का एक छोटा सा नमूना है।'
जहरीली शराब से हर साल लगभग 1,000 मौतें
पिछले 2 दशकों में जहरीली शराब से 22,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। जहरीली शराब से 2013 में सबसे कम 497, जबकि 2014 में सबसे ज्यादा 1,700 मौतें दर्ज की गई थीं। औसतन हर साल लगभग 1,050 मौतें अवैध शराब के सेवन के कारण होती हैं। कुल होने वाली मौतों की आधे से ज्यादा छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश में हो रही हैं। 2012 से मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।