बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत खस्ता, हर साल लाखों छोड़ रहे देश; कितनी कम हुई आबादी?
बांग्लादेश में भड़की हिंसा के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश तक छोड़ना पड़ गया। इसके बाद वहां नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का भी गठन हो गया है। इसके बाद भी वहां हिंसा नहीं थम रही है। अब प्रदर्शनकारी हिंदू आबादी को निशाना बना रहे हैं। हिंदू आबादी देश छोड़ने को मजबूर है। ऐसे ही कई कारणों से पिछले दशकों में यहां हिंदू आबादी भी कम हो गई है।
वर्तमान में बांग्लादेश में क्या है हालात?
वर्तमान में बांग्लादेश के 50 जिलों में बहुसंख्यक (मुस्लिम) आबादी हिंदुओं को निशाना बना रही है। उनके मंदिरों को तोड़ा जा रहा है और घरों को जलाकर लूटपाट की जा रही है। इन घटनाओं में अवामी लीग के 2 बड़े हिंदू नेताओं सहित 10 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। सभी हिंदू परिवार दहशत में जी रहे हैं और अंतरिम सरकार से सुरक्षा मुहैया कराने की गुहार लगा रहे हैं।
हिंदुओं की सुरक्षा बना अंतरराष्ट्रीय मुद्दा
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों की घटना अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गया है। अमेरिका, ब्रिटेन सहित अन्य देशों में हिंदुओं ने प्रदर्शन कर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की है। लंदन में संसद भवन और अमेरिका में व्हाइट हाउस के बाहर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने जमा होकर प्रदर्शन किया है। इसके बाद दोनों देशों की सरकार ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से हिंदुओं के साथ अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के जरूरी कदम उठाने का आह्वान किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी की हिंदुओं की सुरक्षा की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिम सरकार के गठन के बाद मुहम्मद यूनुस को बधाई दी और बांग्लादेश में हिंदुओं सहित सभी नागरिकों की सुरक्षा करने की मांग की। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत इस मुद्दे पर बांग्लादेश के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए क्या उठाए गए कदम?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हिंसा में मरने वालों के परिवारों को मुआवजा देने और अल्पसंख्यकों पर हमलों को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने का ऐलान किया है। सरकार ने कहा कि वह अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए बहुसंख्यकों के संगठनों के साथ बैठक करेगी। अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस अल्पसंख्यक समुदायों पर हुए हमलों की निंदा करते हुए उन्हें जघन्य करार दिया है। इसके अलावा सेना और पुलिस को आवश्यक कदम उठाने को कहा है।
बांग्लादेश में 50 साल में घटी हिंदू आबादी
आजाद बांग्लादेश में पहली आधिकारिक जनगणना 1974 में हुई थी। उस समय देश की कुल आबादी 7.65 करोड़ थी, जिसमें हिंदुओं की संख्या 13.5 प्रतिशत (1.03 करोड़) थी। उस समय देश में मुस्लिम आबादी 85.4 प्रतिशत थी। उसके बाद 2011 की आखिरी जनगणना में देश की आबादी तो 14.97 करोड़ हो गई, लेकिन हिंदुओं की आबादी कम होकर 8.5 प्रतिशत (1.20 करोड़) ही रह गई। ऐसे में पिछले 5 दशक में हिंदू आबादी प्रतिशत के मामले में कम हुई है।
संविधान में संशोधन बना हिंदुओं के पलायन का कारण
26 मार्च, 1971 को पाकिस्तान से अलग होकर वजूद में आए बांग्लादेश ने 4 नवंबर, 1972 को अपनाए संविधान में खुद को धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक देश घोषित किया था, लेकिन वो ज्यादा समय तक धर्म निरपेक्ष नहीं रहा। सरकार ने 7 जून, 1988 को संविधान में बदलाव कर खुद को इस्लामी राष्ट्र घोषित कर दिया। इस बदलाव के बाद बुहसंख्यक आबादी ने हिंदुओं पर अत्याचार और हिंसा करना शुरू कर दिया, जिससे वो पलायन को मजबूर हुए।
इस विवादास्पद भूमि कानून ने भी हिंदुओं के पलायन में निभाई भूमिका
बांग्लादेश में साल 2021 तक एक विवादास्पद भूमि कानून 'निहित संपत्ति अधिनियम' लागू था। इसके तहत सरकार के पास यह अधिकार था कि वह दुश्मन संपत्ति को अपने कब्जे में ले ले। इस कानून के तहत बांग्लादेश सरकार ने हिंदुओं की करीब 26 लाख एकड़ जमीन कब्जे में ले ली। इस कानून से हर हिंदू परिवार प्रभावित हुआ था। इस कानून में काफी विवाद के बाद बदलाव किया गया, लेकिन फिर भी नए कानून को लचर ही बनाए रखा गया।
हिंदुओं को लगातार बनाया जा रहा है निशाना
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ कट्टरपंथी आंदोलन 1980 से 1990 के बीच काफी अधिक बढ़ गया था। 1990 में अयोध्या में विवादित ढ़ांचा ध्वंस किए जाने के बाद चटगांव और ढाका में कई हिंदू मंदिरों में आग लगा दी थी। उस दौरान हिंसा में दर्जनों हिंदुओं की मौत भी हुई थी। इसी तरह 2016 में बांग्लादेश में हिंदुओं के 66 घर जला दिए गए थे, जिसमें 24 लोग घायल हो गए और 49 मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था।
हर साल 2.30 लाख हिंदू छोड़ रहे बांग्लादेश
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में हर साल 2.30 लाख हिंदू देश छोड़कर चले जाते हैं। 2011 की जनगणना से पता चला कि 2000 से 2010 के बीच देश में 10 लाख हिंदू कम हो गए। इससे पहले 2016 में बांग्लादेश के एक पमुख अर्थशास्त्री ने द हिंदू को बताया था कि इसी तरह पलायलन होता रहा तो 30 साल बाद देश में कोई हिंदू नहीं बचेगा। उस समय करीब 600 हिंदू रोजाना बांग्लादेश छोड़ रहे थे।
भारत में तेजी से बढ़ रहे घुसपैठ के प्रयास
सीमा सुरक्षा बल (BSF) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 से अप्रैल 2022 के बीच 14,000 बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़कर वापस बांग्लादेश भेजा गया था। उसके बाद भी सीमा पर लगातार बांग्लादेशी घुसपैठ की खबरें आती रहती हैं।
भारत में कितनी है बांग्लादेशी प्रवासियों की संख्या?
1971 में बांग्लादेश के वजूद में आने से पहले भयानक हिंसा के कारण लाखों की संख्या में बांग्लादेशी लोग शरण की तलाश में भारत पहुंचे थे। तब से भारत में बांग्लादेशी शरणार्थियों को लेकर अलग-अलग दावे हैं। 2004 में कांग्रेस नीत UPA सरकार ने भारत में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की संख्या 12 लाख बताई थी। उसके बाद 2016 में इस संख्या को 20 लाख और 2018 में गृहमंत्री अमित शाह ने इस आंकड़े को 40 लाख तक बताया।