#NewsBytesExplainer: कैसे तय होती है फिल्मों की कमाई और कितना होता है वितरकों का हिस्सा?
क्या है खबर?
हर हफ्ते सिनेमाघरों में कोई न कोई फिल्म रिलीज होती है और फिल्म के पर्दे पर आने के बाद से ही बॉक्स ऑफिस पर उसकी कमाई सुर्खियों रहती है।
हम भी अमूमन अपनी पसंदीदा फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन जानने के लिए उत्साहित रहते हैं।
आजकल 'सालार', डंकी और 'एनिमल' सिनेमाघरों में हैं, जिनका एक-एक दिन की कमाई लोगों के बीच चर्चा का विषय बन रही है।
आइए आपको बताते हैं कि बॉक्स ऑफिस आंकड़ों की गणना होती कैसे है।
निर्माता और वितरक
सबसे पहले जानिए निर्माता और वितरक का मतलब
सबसे पहले निर्माता और वितरक के बारे में जान लेते हैं, जिनका इस पूरी खबर में जिक्र होना है।
निर्माता वो व्यक्ति होता है, जो फिल्म के सभी खर्चों को वहन करता है। कलाकारों को दी जाने वाली फीस से लेकर फिल्म के प्रचार तक का खर्च निर्माता ही उठाता है, वहीं फिल्म वितरक निर्माताओं और सिनेमाघरों के बीच बिचौलिए का काम करते हैं।
दरअसल, जब फिल्म बनकर तैयार होती है तो निर्माता वितरकों के पास उसे लेकर जाते हैं।
थिएटर मालिक
थिएटर मालिक से वितरक करता है अलग-अलग समझौते
थिएटर यानी सिनेमाघरों में फिल्म दिखाने के लिए वितरक पहले ही समझौतों के आधार पर सिनेमाघर के मालिको को राजी कर लेता है।
बता दें कि भारत में दो प्रकार के सिनेमाघर हैं। एक है सिंगल स्क्रीन और दूसरा है मल्टीप्लेक्स चेन।
दोनों प्रकार के थिएटर मालिकों के पास वितरकों संग अलग-अलग कई समझौते होते हैं, जो मुख्य रूप से वितरकों को सिनेमाघरों द्वारा भुगतान किए जाने के लिए फिल्म स्क्रीन की संख्या और प्रॉफिट रिटर्न पर केंद्रित होते हैं।
मनोरंजन कर
कुल कमाई से कटता है मनोरंजन कर
सिनेमाघरों के मालिकाें के पास ही नेट कलेक्शन इकठ्ठा होता है, जिससे लगभग 30 प्रतिशत मनोरंजन कर काटा जाता है।
मनोरंजन कर अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा वसूला जाता है और यह हर सर्किट में अलग अलग दर से वसूला जाता है।
अंत में मनोरंजन कर चुकाने के बाद समझाैते के अनुसार जितना रुपया बचता है, उसका एक हिस्सा वितरक को लौटा दिया जाता है।
वितरकों को सिनेमाघरों के मालिकों से मिलने वाला पैसा सप्ताह के आधार पर दिया जाता है।
हिस्सेदारी
वितरकों को इस हिसाब से मिलता है हिस्सा
वितरकों की हिस्सेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण मापदंड तय किया गया है।
अगर फिल्म मल्टीप्लेक्स में रिलीज होती है तो पहले सप्ताह के कुल कलेक्शन का 50 प्रतिशत, दूसरे सप्ताह में 42 प्रतिशत, तीसरे में 37 प्रतिशत और चौथे के बाद 30 प्रतिशत भाग वितरकों को दिया जाता है।
उधर अगर फिल्म सिंगल स्क्रीन पर रिलीज होती है तो रिलीज के पहले सप्ताह से लेकर जब तक फिल्म चलती है, वितरक को अमूमन 70-90 प्रतिशत भाग देना पड़ता है।
उदाहरण
उदाहरण से समझिए
अगर रिलीज हुई फिल्म का टिकट 200 रुपये है। हफ्ते में उसके 100 शो दिखाए गए और हर शो में 200 लोगों ने फिल्म देखी तो सिनेमाघर का कुल कारोबार हुआ 40 लाख रुपये।
30 प्रतिशत की दर से मनोरंजन कर घटाने के बाद कुल कमाई हुई 28 लाख रुपये, वहीं समझौते के अनुसार पहले हफ्ते के शो से वितरक को दिया जाने वाला हिस्सा 50 प्रतिशत होता है। इसे घटाने के बाद फिल्म की कमाई 14 लाख रुपये हुई।
जानकारी
यहां से भी होती है कमाई
समझौते के मुताबिक इसी तरह की कमाई वितरक को सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों से होगी। वितरक को सिनेमाघरों में टिकट की बिक्री से होने वाली आय के अलावा नॉन थिएट्रिकल स्रोतों जैसे म्यूजिक राइट्स, सैटेलाइट राइट्स और विदेशी सब्सिडी आदि से भी कमाई होती है।
बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट
कौन जारी करता है कमाई के आंकड़े?
फिल्मों जो भी कमाई करती हैं, उससे जुड़े आंकड़ें कोई एक एजेंसी पेश नहीं करती और ना ही किसी एजेंसी के पास ऐसा डाटा इकट्ठा करने की जिम्मेदारी है।
अलग-अलग मल्टीप्लेक्स चेन, सिंगल स्क्रीन थिएटर फिल्म की टिकट खिड़की पर प्रदर्शन से जुड़े आंकड़ें वितरकों को भेजते हैं, जो आगे इन्हें निर्माताओं और बाकी चैनलों और समीक्षक आदि के साथ साझा करते हैं।
डेली कलेक्शन रिपोर्ट या DCR पर भी बॉलीवुड में जानकारी देने के लिए भरोसा किया जाता है।