निर्भया कांड: 3 मार्च को होगी फांसी? दोषियों के वकील बोले- लिखकर ले लो नहीं होगी
क्या है खबर?
दिल्ली में साल 2012 में हुए निर्भया कांड के चारों दोषी पवन, विनय, मुकेश और अक्षय की फांसी के लिए पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को नया डेथ वारंट जारी किया।
दोषियों को अब 3 मार्च को सुबह 6 बजे फंदे पर लटकाया जाएगा। पिछले 41 दिनों में यह तीसरा डेथ वारंट है, लेकिन अभी भी फांसी पर संशय बरकरार है।
दोषियों के वकील एपी सिंह ने दावा किया है कि उन्हें इस बार भी फांसी नहीं होगी।
बयान
"लिखकर रख लो, 3 तारीख को फांसी नहीं होगी"
दोषियों के वकील एपी सिंह ने दैनिक भास्कर को बताया कि दोषियों के पास अभी भी कई कानूनी विकल्प बचे हुए हैं। सभी का उपयोग किया जाएगा। राष्ट्रपति के पास दोबारा दया याचिका भी भेजी जाएगी और खारिज होने पर भी जो विकल्प होंगे उनका भी उपयोग किया जाएगा। आप लिखकर रख लो, 3 मार्च को फांसी नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि अभी पवन गुप्ता के पास क्यूरेटिव पिटीशन और राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाने का विकल्प खुला है।
जवाब
फांसी टालने के सवाल पर वकील ने दिया यह बयान
दोषियों के वकील सिंह ने कानूनी विकल्प से अधिकतम कितने समय तक फांसी टाले जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, "न मैं परमात्मा हूं, न मैं यमराज हूं। मैं एडवोकेट हूं। जो क्लाइंट कहेगा, क्लाइंट के परिवार वाले कहेंगे, उनको भारतीय संविधान, सुप्रीम कोर्ट के लैंडमार्क जजमेंट के अनुसार सभी कानूनी विकल्प उपलब्ध कराऊंगा।"
उन्होंने आगे कहा कि बेशक इस केस में मीडिया ट्रायल है, लेकिन उससे वे न्याय की पराकाष्ठा को झुकने नहीं देंगे।
बड़ा कारण
दोषियों पर लूट का मामला भी चल रहा है
सिंह ने बताया कि निर्भया कांड से पहले दोषियों के खिलाफ राम आधार नामक व्यक्ति से लूट किए जाने का मामला चल रहा था।
उस मामले में पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को पटियाला कोर्ट ने साल 2015 में 10 साल की सजा सुनाई थी। दोषियों ने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती थी। वह मामला अभी भी लंबित है। उस मामले का निपटारा होने से पहले दोषियों को किसी सूरत में फांसी नहीं दी जा सकती है।
विकल्प
दोषियों के पास अभी बचे हैं ये विकल्प
नियमानुसार दोषी मुकेश, विनय और अक्षय के पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है। तीनों रिव्यू पिटीशन, क्यूरेटिव पिटीशन, राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगा चुके हैं।
केवल पवन के पास ही क्यूरेटिव पिटीशन व दया याचिका का विकल्प है। हालांकि, उनके वकील सिंह का कहना है कि उनके पास अभी कई विकल्प हैं।
पवन के नाबालिग होने और SLP पर क्यूरेटिव पिटिशन बाकी है। उनमें राहत नहीं मिलने पर ही दया याचिका लगाई जाएगी।
फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल के लिए दिया था 7 दिन का समय
दोषियों के एक-एक कर कानूनी विकल्प उपयोग लेने को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने चारों दोषियों को 11 फरवरी तक अपने सभी विकल्पों का उपयोग करने की मोहलत दी थी। वह खत्म हो गई है।
हालांकि, पवन गुप्ता ने कोर्ट में दलील दी कि वह वकील के अभाव में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं कर पाया था। इस पर निचली अदालत ने पिछले सप्ताह ही उसके लिए एक वकील नियुक्त किया था।
इसके अलावा दोषी विनय शर्मा भूख हड़ताल पर है।
डेथ वारंट
पहले दो बार जारी हो चुका है डेथ वारंट
कोर्ट की ओर से इससे पहले दो बार डेथ वारंट जारी किया जा चुका है, लेकिन फांसी नहीं हुई। कोर्ट ने 7 जनवरी को डेथ वारंट जारी करते हुए दोषियों को 22 जनवरी को फांसी पर लटकाने का आदेश दिया था। हालांकि, एक दोषी की दया याचिका लंबित रहने से फांसी नहीं हो सकी।
इसके बाद 17 जनवरी को कोर्ट ने दोषियों को 1 फरवरी को फांसी पर लटकाने का डेथ वारंट जारी किया, लेकिन फांसी नहीं हो सकी थी।
मामला
निर्भया के साथ हुई थी हैवानियत
16 दिसंबर, 2012 को छह अपराधियों ने निर्भया के साथ एक निजी बस में गैंगरेप कर हैवानियत की थी। इसके बाद निर्भया ने सिंगापुर में दम तोड़ दिया था। देशभर में इसको लेकर विरोध हुआ था।
मामले में एक नाबालिग सजा काटकर बाहर आ चुका है और एक ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। शेष चार अपराधी अक्षय, विनय, मुकेश और पवन को अदालत ने फांसी की सजा का ऐलान करते हुए डैथ वारंट जारी किया था।