शिवसेना नेता संजय राउत के खिलाफ मुकदमा दर्ज, एकनाथ शिंदे के बेटे पर लगाए थे आरोप
महाराष्ट्र में शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह को लेकर ठाकरे और शिंदे गुट आमने-सामने हैं। इसी बीच ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसको लेकर अब राउत के खिलाफ ठाणे पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक, राउत के खिलाफ कपूरबावड़ी पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 153 (A), 500 और अन्य संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
क्या था मामला?
दरअसल, राउत ने मुंबई पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने दावा किया था कि लोकसभा सांसद श्रीकांत शिंदे ने उन्हें मारने की सुपारी ठाणे के एक अपराधी राजा ठाकुर को दी है। मामले में राउत ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी पत्र लिखकर राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान देने को कहा था। हालांकि, पूर्व मेयर मीनाक्षी शिंदे ने राउत के आरोपों को मनगढ़ंत बताया है और इसके खिलाफ कपूरबावड़ी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करवाई है।
फडणवीस बोले- बिना सबूत के आरोप लगाना गलत
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राउत के लिखे पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, "राउत ने मुझे ऐसा पत्र क्यों लिखा है? यह पुलिस सुरक्षा पाने के लिए है या सनसनी फैलाने लिए? झूठे आरोप लगाने से सहानुभूति नहीं मिलेगी।" उन्होंने कहा कि बिना सबूतों के किसी पर आरोप लगाना गलत है। दरअसल, महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद राउत की सुरक्षा वापस ले ली गई थी और वो तभी से सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिंदे के खिलाफ टिप्पणी पर भी हो चुकी है FIR
इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ टिप्पणी की गई टिप्पणी को लेकर भी राउत के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। राउत ने आरोप लगाया था कि शिवसेना पार्टी के नाम और उसके 'धनुष और तीर' के चुनाव चिह्न को हासिल करने के लिए कथित तौर पर 2,000 करोड़ रुपये का सौदा का हुआ है और इसमें शिंदे भी शामिल हैं। इसके बाद नासिक के पंचवटी पुलिस स्टेशन में धारा 500 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
क्या है शिवसेना के चुनाव चिन्ह से संबंधित मामला?
पिछले दिनों चुनाव आयोग ने शिंदे गुट के पक्ष में फैसला सुनाते हुए शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह 'तीर-कमान' उन्हें सौंप दिया था। चुनाव आयोग के इस फैसले को ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दरअसल, जून, 2022 में शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना उनके और उद्धव ठाकरे के दो गुटों में बंट गई थी। दोनों ही गुटों ने शिवसेना पर अपनी-अपनी दावेदारी पेश की थी और मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच गया था।