DMK सांसद ए राजा के खिलाफ ED की कार्रवाई, 55 करोड़ रुपये की 'बेनामी' संपत्तियां जब्त
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) नेता ए राजा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ED ने मंगलवार को उनके स्वामित्व वाली 55 करोड़ रुपये की 15 अचल 'बेनामी' संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया। आरोप है कि ये संपत्तियां 'बेनामी' कंपनी कोवई शेल्टर्स प्रमोटर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से पंजीकृत हैं। ED ने धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के प्रावधानों के तहत इन संपत्तियों को अपने कब्जे में लिया है।
क्या है मामला?
DMK सांसद पर आरोप है कि 2004 से 2007 तक पर्यावरण और वन मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर कुछ रियल स्टेट कंपनियों को पर्यावरण मंजूरी दी थी। इसके बदले उन्हें रिश्वत मिली थी, जिसे उन्होंने अपनी बेनामी कंपनी कोवई शेल्टर्स प्रमोटर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में लगाया। इस कंपनी ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में 55 करोड़ रुपये में 45 एकड़ भूमि खरीदी थी, जिसे ED कुर्क कर चुकी है।
बेनामी कंपनी क्यों बनाई थी?
ये कंपनी राजा के पारिवारिक सदस्यों और करीबी दोस्तों के नाम पर बनाई गई थी, जिसका मकसद धन शोधन था। अब ED ने राजा के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति मामले में PMLA के तहत उनकी बेनामी कंपनी के नाम पर अर्जित 15 अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया है। बता दें कि जिन रियल स्टेट कंपनियों को उन्होंने पर्यावरण मंत्री रहते हुए पर्यावरण मंजूरी दी थी, उनमें से एक कंपनी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में भी सूचीबद्ध है।
क्या होती हैं बेनामी संपत्ति?
बेनामी संपत्तियां वे होती हैं, जिनका मालिक उन्हें किसी और के नाम पर खरीदता है। ऐसी संपत्ति किसी ऐसे व्यक्ति के नाम पर खरीदी जाती हैं या उसके नाम पर रखी जाती हैं, जिसने न तो संपत्ति के इसके लिए भुगतान किया है और न ही वास्तव में इससे कोई संबंध हो। इस संपत्ति को खरीदने में जो पैसा लगाया जाता है, वो कमाई के स्त्रोतों से बाहर का होता है यानि कालाधन होता है।
न्यूजबाइट्स प्लस
हाल ही में ए राजा सनातन धर्म को लेकर बयान के कारण विवादों में रहे थे। उन्होंने कहा था, "सनातन पर उदयनिधि ने जो बोला, वह काफी कम था। उन्होंने सिर्फ मलेरिया और डेंगू से इसकी तुलना की थी। सनातन धर्म की सामाजिक कलंक वाली बीमारी उससे भी बड़ी है। अगर आपको सनातन को परिभाषित करना है तो इसकी तुलना HIV और कुष्ठ रोग जैसे बीमारियों से की जानी चाहिए। समाज के लिए सनातन ठीक ऐसा ही काम करता है।"